नई दिल्ली : देश में जारी कोरोना संकट के बीच भारत लगातार कोरोना वैक्सीन और ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है। ये समस्या खत्म भी नहीं हुई थी कि देश के सामने एक और सबसे बड़ी मुसीबत दवाइयों के स्टॉक में आई कमी की है। दवाइयों के स्टॉक में कमी होने से लोग दर-दर को भटकने को मजबूर हो रहे है। वहीं कई जगहों पर ये दवा मुंहमांगी कीमतों पर बिक रहा है। जिससे शहरों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों के भी हालात बद से बदतर है।
बता दें कि महामारी के दौरान देश की स्वास्थ्य सेवा को लेकर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं। देश पहले ही वैक्सीन की कमी से जूझ रहा है, और अब ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश में दवाइयों की भी शॉर्टेज हो गयी है। इसमें कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कई एंटीबायोटिक्स, स्टेरॉयड्स, एंटी-फंगल ड्रग्स और विटामिन शामिल हैं। यहां तक कि सामान्य तौर पर इस्तेमाल होने वाली पेरासिटामोल की भी कमी होने की बात कही जा रही है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना की खतरनाक दूसरी लहर के दौरान देश में वैक्सीन के बाद अब कई जरूरी दवाइयों की शॉर्टेज हो गयी है और कई स्टॉक में उपलब्ध ही नहीं हैं। छोटे शहरों में इन दवाइयों की बहुत ज्यादा कमी है जबकि ग्रामीण इलाकों की हालात तो और भी बदतर है। कोरोना महामारी के दौरान इन दवाइयों की मांग सप्लाई से कहीं अधिक है।
इन दवाइयों की मैन्युफेक्चरिंग में लगने वाले समय के चलते नए स्टॉक की सप्लाई में अभी 15 से 20 दिन का वक्त लग सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, पेरासिटामोल के साथ साथ फेविपिरावीर और रेमेडिसिवीर की कमी का मुख्य कारण जमाखोरी है। साथ ही कई लोगों ने कोरोना से डर के चलते घबराहट में इन दवाइयों को खरीदा हो सकता है।
आपको बता दें कि कोरोना के साथ साथ इससे मरीजों में मिल रहे ब्लैक फंगस की दवाइयों के स्टॉक में कमी आयी है। इसके इलाज में एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन मुख्य तौर पर इस्तेमाल में लाया जाता है, जिसके स्टॉक दिल्ली और मुंबई समेत कई शहरों में उपलब्ध नहीं है। हालांकि फ़ार्मा कंपनी सिप्ला और भारत सिरम इन दवाइयों के उत्पादन में तेजी लाने का भरपूर प्रयास कर रहीं हैं।
गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एंटी वायरल दवाइयों फेविपिरावीर और रेमेडिसिवीर इंजेक्शन के साथ साथ टोसिलिजुमैब (Tocilizumab) इंजेक्शन की सप्लाई में बेहद कमी दर्ज की गयी है। बता दें कि देश में कोरोना की दूसरी लहर के बीच एंटीबायोटिक्स में एजीथ्रोमायसिन और डोक्सीसायक्लीन स्टेरॉयड्स में डेक्सामेथासोन और लिपोसोमाल एम्फोटेटरिसिन बी जैसे एंटी फंगल के साथ साथ विटामिन सी और जिंक जैसे इम्यूनिटी बूस्टर की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गयी है।