भारत में प्रदूषण का स्तर दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, जिससे वायु गुणवत्ता में निरंतर गिरावट देखी जा रही है जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर खतरा मंडरा रहा है। फिर चाहे शहरों में छाया धुंध हो या फिर घर के अंदर फैलने वाला धुआं हो, ये सभी वायु प्रदूषण के बड़े कारक हैं। यह प्रदूषण ऐसा है कि इसमें दमा, अस्थमा और हृदय से संबंधित बिमारियों से ग्रसित लोगों को तो छोड़ दीजिए अच्छे खासे स्वस्थ व्यक्ति को भी अपना ग्रास बना सकता है। एक स्टडी के मुताबिक दिल्ली में रहने वाले लोगों की उम्र अन्य जगहों पर रहने वाले लोगों से कम-से-कम 10 साल कम हो जाती है।
खराब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) पूरे देश में लोगों को प्रभावित कर रहा है। यह हर उम्र के लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है, लेकिन इससे सबसे ज्यादा प्रभावित वे लोग होते हैं जिनकी पहले से ही कोई स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या हो।
प्रदूषण से जुड़े लक्षण जैसे सांस लेने में कठिनाई, गले में जलन, और आंखों में जलन आदि स्वास्थ्य समस्याओं को यह बढ़ा सकता हैं। प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से इन समस्याओं में और भी वृद्धि हो सकती है, इसलिए इसे समय रहते पहचानना और इलाज कराना बहुत जरूरी है।
क्या आप जानते हैं कि प्रदूषण से राइनाइटिस (Rhinitis), अस्थमा और एलर्जी की समस्या और भी बढ़ सकती है? महीन कण पदार्थ (PM2.5) और धूल, धुआं, और पराग जैसे प्रदूषक मौजूदा एलर्जी को बढ़ा सकते हैं और नई एलर्जी का कारण बन सकते हैं।
*Rhinitis- राइनाइटिस तब होता है जब कोई प्रतिक्रिया होती है , जिससे नाक बंद हो जाती है, नाक बहने लगती है, छीक आती है और खुजली होती है।
इन एलर्जी के कारण लगातार छींकना, नाक बहना, और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण हो सकते हैं। अगर इन समस्याओं को समय पर नजरअंदाज किया जाए, तो ये गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का रूप ले सकती हैं।
इस बढ़ते प्रदूषण के बीच, लोगों को अपनी स्वास्थ्य देखभाल पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रदूषण से होने वाली एलर्जी और श्वसन समस्याओं से बचने के लिए हमें समय रहते पहचान करना और निवारक देखभाल प्रदान करना जरूरी है। इसके लिए विशेष परीक्षण जैसे एलर्जी-व्हीज़/राइनाइटिस पैनल (इम्यूनो कैप) की मदद से आप अपने श्वसन स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले विशिष्ट एलर्जेंस की पहचान कर सकते हैं।
This Post is written by Abhijeet Kumar yadav