हम सभी को पता है कि गजानन का वाहन मूषक है। पर क्या आपको पता है कि गणेश जी का वाहन मूषक कैसे बना। शायद हममें से कई लोगों को इस बारे पता न हो। टेंशन न लीजिए आप इस पोस्ट के माध्यम से जान सकते हैं कि गणेश जी का वाहन मूषक ही क्यों बना…
हिंदू धर्म में शिव जी का वाहन नंदी को माना जाता है, वहीं मां दुर्गा का वाहन शेर को माना जाता है। सभी देवताओं के वाहन की अपनी-अपनी खासियतें हैं। लेकिन वहीं गणेश जी छोटे-से चूहे पर सवार होते हैं। आपके मन में भी यह ख्याल आया होगा कि आखिर गणेश जी ने मूषक को ही अपना वाहन क्यों बनाया। तो चलिए जानते हैं इसका पीछे का कारण।
कहानी 1… एक बार गजमुखासुर नाम के राक्षस ने देवताओं को बहुत परेशान कर रखा था। ऐसे में सभी देवता एकत्रित होकर भगवान गणेश के पास मदद मांगने पहुंचे। तब श्रीगणेश ने उन्हें गजमुखासुर से मुक्ति दिलाने का भरोसा दिया और श्रीगणेश का गजमुखासुर दैत्य से भयंकर युद्ध हुआ।
उस युद्ध में श्रीगणेश का एक दांत भी टूट गया। तब क्रोधित होकर श्रीगणेश ने टूटे दांत से गजमुखासुर पर प्रहार कर दिया और वह घबराकर चूहा बनकर भागने लगा लेकिन गणेशजी ने उसे पकड़ लिया। मृत्यु के भय से वह क्षमा मांगने लगा तब श्रीगणेश ने दया करके मूषक रूप में ही उसे अपना वाहन बना लिया।
एक बार इंद्र देव के दरबार में क्रौंच नाम का एक गंधर्व रहता था। वह दरबार में हंसी-ठिठोली करता था, जिससे दरबार के कामकाज में बाधा उत्पन्न हो रही थी। इसी दौरान क्रौंच ने मुनि वामदेव के पैर पर गलती से कदम रख दिया। इससे मुनि वामदेव क्रोधित हो गए और क्रौंच को चूहा बनने का श्राप दे दिया।
चूहा बनने के बाद भी क्रौंच नहीं सुधरा और उसने महर्षि पराशर के आश्रम में उत्पात मचाया। उसने आश्रम के मिट्टी से बने बर्तन तोड़ दिए और ऋषियों के वस्त्र और ग्रंथों को कुतर डाला। इस परेशानी से परेशान होकर महर्षि पराशर ने गणेश जी से सहायता मांगी। गणेश जी ने मूषक को पकड़ने के लिए अपना पाश फेंका। मूषक का पीछा करते हुए पाश पाताल लोक तक पहुंच गया। वहां से पाश ने उसे बांधकर गणेश जी के सामने प्रस्तुत कर दिया।
गणेश जी ने मूषक से कहा कि अब तुम मेरी शरण में हो, जो चाहे मांग सकते हो। मूषक ने कहा कि मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए, लेकिन आप मुझसे कुछ मांग सकते हो। इस पर गणेश जी ने कहा कि तुम मेरा वाहन बन जाओ। तब से मूषक गणेश जी का वाहन बन गया।
This Post Written By Shreyasi