{ योगेश आर्य की रिपोर्ट }
सहारनपुर के देवबन्द में कोरोना संकटकाल में दारुल उलूम देवबंद ने ताजा फतवा दिया है। फतवे में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान बैंक के ब्याज से तंगहाल और जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकती है।
दारुल उलूम देवबंद से कर्नाटक के एक शख्स ने सवाल पूछा कि हमारी मस्जिद के बैंक एकाउंट में जमा रकम पर इंटरेस्ट की काफी रकम बनती है।
मौजूदा हालात में जब खाने कमाने वाला तबका बेहद परेशान और तंगहाल बना हुआ है तो ऐसे में क्या बैंक के ब्याज से मोहताज और परेशानहाल लोगों की मदद की जा सकती है?
जवाब में दारुल उलूम के मुफ्तियों की खंडपीठ ने दिए अपने फतवे में कहा कि बैंक में जमा रकम पर इंटरेस्ट के नाम से जो सूद दिया जाता है, वह शरीयत की नजर से हराम व नाजायज है।
सूद की इस रकम को व्यक्तिगत रूप में या फिर मस्जिद के लिए इस्तेमाल करना दुरुस्त नहीं है। अलबत्ता बिना सवाब की नीयत के लॉकडाउन के दौरान इस सूदी रकम को मोहताज, तंगहाल और परेशान हाल लोगों को दी जा सकती है।
या इस रकम से उनको राशन खरीद कर देना चाहते है तो इसमें शरअन कोई हर्ज नहीं है।