रिपोर्ट: गीतांजली लोहनी
नई दिल्ली: “नजर ना लगे, ये ले काले टीका लगा ले” ये कहते तो आपने अक्सर अपनी मां या किसी बड़े को सुना ही होगा। और अक्सर आपने छोटे बच्चों के भी कभी माथे में तो कभी गाल में तो कभी कान के पीछे काला टीका लगा हुआ देखा ही होगा। ऐसा माना जाता है कि बुरी नजर से बचाने के लिए काला टीका लगाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते है कि जिस बुरी नजर से बचाने के लिए मां अपने बच्चे को काला टीका लगाती है वो वास्तव में कुछ होता ही नही है। जी हां चौंकिए बिल्कुल मत क्योंकि आज हम आपको बुरी नजर के बारे में वैज्ञानिक तर्क बताने वाले है-
वास्तव में बुरी नजर है क्या?
बुरी नजर एक नेगिटिव एनर्जी है। जैसे ही बच्चे इस एनर्जी के संपर्क में आते हैं तो वो नेगिटिव एनर्जी बच्चे को नुकसान पहुंचाती है। बच्चे बहुत ज्यादा सेंसिटिव होते हैं और उनमें नकारात्मक एनर्जी जल्दी जाने का डर रहता है। और अगर वैज्ञानिक तर्क देखें तो विज्ञान कहता है कि किसी भी मनुष्य की आंख कोई हानिकारक रेडिएशन नहीं निकालता है जिससे किसी दूसरे व्यक्ति को नुकसान पहुंचे।
पुराने जमाने के लोगों के हिसाब से क्या होती है बुरी नजर?
वैसे तो आज का जमाना इतना आगे निकल चुका है कि उनकी सोच भी काफी बदल चुकी है लेकिन पुराने जमाने के लोगों का मानना है कि जब आपसे कोई ईर्ष्या या जलन रखने वाला व्यक्ति आपको घूरता है तो यही बुरी नजर है जो आपको नुकसान पहुंचा सकती है। यानि छोटे बच्चों को नजर लगने के पीछे भी वो लोग किसी दूसरे व्यक्ति की ईर्ष्या या जलन को मानते हैं और काला टीका लगाकर रखते हैं। कहा जाता है कि काला टीका लगाने से बुरी नजर बच्चें तक नहीं पहुंचती है।
अगर नजर लगे तो क्या होता है?
आपने अक्सर नोटिस किया होगा कि बच्चा लगातार रो रहा है और चिड़चिड़ा हो रहा है ना खा रहा है ना ही पी रहा है और ना ही सो रहा है। तो ऐसे में अंदाजा लगाया जाता है कि बच्चे को नजर लगी है। गांव देहातों में आज भी नजर को हटाने के लिए कई तरह के टोटके किये जाते है।
लेकिन मेडिकल साइंस नजर को नहीं मानता हैं डॉक्टर्स मानते है कि ये सब समस्याएं मेडिकल कारणों से होती हैं। हालांकि एक मां होने के नाते दवा देने के बाद भी बच्चे को आराम नहीं मिल रहा है तो आप नजर पर भरोसा कर सकती हैं लेकिन साथ ही डॉक्टर की सलाह भी जरुरी है।