भारत की वायु रक्षा प्रणाली को मजबूत करने के उद्देश्य से शुरू किया गया आकाशतीर प्रोजेक्ट दुश्मन के किसी भी हवाई हमले से देश की सुरक्षा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने की क्षमता रखता है।
यह प्रोजेक्ट सभी वायु रक्षा सेंसरों को एकीकृत करने की एक अनोखी पहल है, जो न केवल रक्षा प्रतिक्रिया के समय को तेज करेगा बल्कि दुश्मन के किसी भी हवाई खतरे को रियल-टाइम में पहचानने और जवाब देने की क्षमता भी प्रदान करेगा। इस प्रणाली का उद्देश्य न केवल दुश्मन के हमले से देश की रक्षा करना है, बल्कि वायु रक्षा नेटवर्क को बेहतर कोऑर्डिनेशन के साथ हर परिस्थिति में काम करने योग्य बनाना है।
आकाशतीर प्रोजेक्ट के तहत सेना और वायुसेना के सभी रडारों और अन्य एयर डिफेंस सेंसरों को एक केंद्रीय नेटवर्क में एकीकृत किया गया है। इसका मतलब है कि सेना और वायुसेना के पास जो विभिन्न प्रकार के मीडियम और हाई पावर रडार हैं, वे सभी एक साथ काम करेंगे, जिससे पूरे देश के हवाई क्षेत्र की एक सटीक तस्वीर प्रस्तुत की जा सकेगी। यह किसी भी स्थान और मौसम में वायु रक्षा के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।
रियल-टाइम सिचुएशनल अवेयरनेस: आकाशतीर प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब सभी सेंसर और रडार से आने वाली जानकारी एक ही समय पर, वास्तविक समय में उपलब्ध होगी। इससे सेना और वायुसेना को हवाई क्षेत्र में उड़ रहे ऑब्जेक्ट का तुरंत पता चलेगा कि वह दोस्त है या दुश्मन।
संपूर्ण एयर स्पेस कवरेज: यह प्रणाली न केवल विभिन्न स्तरों पर हवाई क्षेत्र की जानकारी प्रदान करेगी, बल्कि चीन और पाकिस्तान जैसे संवेदनशील बॉर्डर्स को भी कवर करेगी। इससे भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा और अधिक मजबूत हो जाएगी।
तेज प्रतिक्रिया समय: इससे पहले, अलग-अलग रडार से आने वाली जानकारी के आधार पर निर्णय लेने में देरी होती थी। आकाशतीर प्रोजेक्ट से एकीकृत जानकारी के जरिए प्रतिक्रिया समय तेज हो गया है, जिससे दुश्मन के मैन्ड या अनमैन्ड एरियल प्लेटफॉर्म को कम समय में नष्ट किया जा सकेगा।
फ्रेंडली फायर की घटनाओं में कमी: पूरे एयरस्पेस की एक ही तस्वीर होने से अब अपने ही एयरक्राफ्ट पर अटैक की घटनाओं में कमी आएगी, क्योंकि रडार सिस्टम दोस्त और दुश्मन में तुरंत फर्क कर सकेगा।
सेना को इस प्रकार के कुल 455 सिस्टम की आवश्यकता है, जिनमें से 107 सिस्टम अब तक डिलीवर किए जा चुके हैं। नॉर्दर्न बॉर्डर (चीन सीमा) पर आकाशतीर सिस्टम पूरी तरह से स्थापित हो चुका है, जबकि वेस्टर्न बॉर्डर (पाकिस्तान सीमा) पर भी 2025 तक 105 और सिस्टम जोड़ दिए जाएंगे। 2027 तक सभी यूनिट्स को आकाशतीर प्रोजेक्ट के तहत पूरी तरह सुसज्जित कर दिया जाएगा।
आकाशतीर प्रोजेक्ट भारत की वायु रक्षा क्षमताओं में एक बड़ा बदलाव है, जो देश को आधुनिक हवाई खतरों से निपटने में सक्षम बनाता है। इस प्रोजेक्ट से न केवल वायु सुरक्षा को मजबूती मिलेगी, बल्कि यह दुश्मन के किसी भी अप्रत्याशित हवाई हमले से बचाव के लिए भारत की तैयारियों को नए स्तर पर ले जाएगा और देश को सुरक्षा की दृष्टि से देश मजबूत बनाएगा।
This Post is written by Shreyasi Gupta