समाचार पत्रों के संगठन इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी (आईएनएस) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारों पर विभिन्न मीडिया घरानों का 1,800 करोड़ रूपए विज्ञापनों का बकाया है। आईएनएस ने कहना है कि भविष्य में यह रकम मिलने की संभावना बहुत कम है।
न्यूज ब्राॅडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) ने भी अलग हलफनामे में इस तथ्य की ओर शीर्ष अदालत का ध्यान आकर्षित किया है। हलफनामे में एनबीए द्वारा कहा गया है कि लाॅकडाउन से समाचार उद्योग का कारोबार आर्थिक संकट में है। समाचार उद्योग को आर्थिक संकट से उबारने के लिए सरकार ने अभी तक पैकेज या उपायों की घोषणा नहीं की है।
पत्रकारों के संगठनों ने लाॅकडाउन का हवाला देकर याचिका में आरोप लगाया कि समाचार पत्रों के प्रबंधक पत्रकारों सहित अन्य कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रहें है। मनमानी वेतन कटौती हो रही है। कर्मचारियों को अनिश्चितकाल के लिए बिना वेतन छुट्टी पर भेजा जा रहा है।
आईएनएस ने अनुसार, सरकारी विज्ञापनों में करीब 80 से 85 फीसदी की कमी हुई है। लाॅकडाउन से अन्य विज्ञापनों में करीब 90 प्रतिशत की गिरावट आई है। लाॅकडाउन से यह बुरी तरह प्रभावित हुआ है। विज्ञापनों में कमी के कारण कई समाचार पत्र, पत्रिकाओं को प्रकाशन पन्नों की संख्या कम करनी पड़ी और कुछ अखबारों को संस्करण बंद करने पड़े।