1. हिन्दी समाचार
  2. देश
  3. 12th Board Exam: जानिएं क्यों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में बुलाई गई बैठक, शिक्षा मंत्री ने कहा…

12th Board Exam: जानिएं क्यों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में बुलाई गई बैठक, शिक्षा मंत्री ने कहा…

By: RNI Hindi Desk 
Updated:
12th Board Exam: जानिएं क्यों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में बुलाई गई बैठक, शिक्षा मंत्री ने कहा…

रिपोर्ट: सत्यम दुबे

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के दूसरे लहर का कहर लगातार जारी है। कोरोना से संक्रमित मरीज ऑक्सीजन और दवाईयों की कमीं से लगातार दम तोड़ रहें हैं। महामारी के दूसरे लहर ने कई हंसते-खेलते परिवारों को तबाह कर दिया है। कोरोना महामारी का असर बच्चों की शिक्षा पर भी पड़ा है, कई राज्य सरकारें बोर्ड के इंग्जाम टाल दी हैं। हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के अधिकारी, सभी राज्यों के शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव और राज्य परीक्षा बोर्ड के अध्यक्ष के साथ बैठक आयोजित की गई थी। 12वीं की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के प्रस्तावों पर की गई चर्चा में सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी और शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ भी शामिल थे।

आपको बता दें कि पीएम मोदी की अगुवाई में मंत्रियों के समूह (जीओएम) का नेतृत्व करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का चुनाव किया गया था। मिली जानकारी के मुताबिक सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्री और विपक्षीय़ दलों ने भी अपनी सहमति जताई थी। सवाल यह हैं कि शिक्षा मंत्री के मौजूद रहते हुए भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में बैठक की गई, आइये जानतें हैं ऐसा क्यों?

इस मामले में शिक्षा मंत्री ने कहा कि वह एक ऐसा मुद्दा है जिसमें खुद प्रधानमंत्री शामिल हैं। देश के बहुत सारे विद्यार्थियों पर इस फैसले का प्रभाव पड़ेगा इसलिए प्रधानमंत्री ने राजनाथ जी को भी इस बैठक में शामिल होने के लिए कहा है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि यह मामला हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है। एक जून तक परीक्षाओं के संबंध में फैसला आने की उम्मीद है। वहीं एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पीएम मोदी ने परामर्श के बाद इस बैठक की अध्यक्षता के लिए राजनाथ सिंह को चुना क्योंकि पीएम न केवल अपने सबसे वरिष्ठ मंत्री को बल्कि इस क्षेत्र में अनुभव रखने वाले किसी व्यक्ति को जिम्मेदारी देना चाहते थे।

आपको बता दें कि राजनाथ सिंह पहली बार 1991 में शिक्षा मंत्री बने जब पहली बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनाई थी। सिंह ने दो साल के लिए पोर्टफोलियो संभाला और 1992 में, नकल विरोधी अधिनियम लाया जिसके तहत चीटिंग एक गैर-जमानती अपराध बना गया और पुलिस को छापे मारने के लिए परीक्षा हॉल में आने की अनुमति मिल गई।

इसके अलावा दूसरे वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि सरकार के लिए सबसे बड़ी चिंता यह थी कि कैसे इस बैठक में सभी राज्यों को शामिल किया जाए। राजनाथ सिंह की सभी पार्टियों में अच्छी स्वीकार्यता है और इसलिए राजनाथ सिंह को चुना गया। वरिष्ठता में, वह सर्वोच्च मंत्री हैं।

दोनों वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि सरकार की रणनीति काम की और राजनाथ सिंह को चुनने से फायदा भी मिला। क्योंकि सभी विपक्षी दल के मंत्री इस कार्यक्रम में शामिल हुए और बैठक में बोर्ड परीक्षा आयोजित करने की व्यापक सहमति भी बन गई।

वहीं शिक्षा मंत्री निशंक के कार्यालय यह कहा गया कि राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में यह बैठक बुलाने से शिक्षा मंत्री को कमजोर नहीं किया गया। शिक्षा मंत्री अभी तक कोविड से पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैं। पहले भी परीक्षा के संबंध में हुई बैठक की अध्यक्षता पीएम द्वारा की गई थी, इसलिए राजनाथ की मौजूदगी में हमारी अध्यक्षता करने का कोई सवाल ही नहीं है।

इससे पहले रविवार की बैठक में, रक्षा मंत्री राजनाथ का हस्तक्षेप सभी उपस्थित लोगों को संक्षेप में अपना प्रस्ताव रखने के लिए बोलने तक ही सीमित था। ताकि सभी को मौका मिले और ज्यादा समय न लगे। अपनी समापन टिप्पणी में, उन्होंने सभी राज्यों से लिखित में अपनी राय देने को कहा, जो कि सरकार के अंतिम निर्णय पर पहुंचने से पहले एक या दो दिन में मिलने की उम्मीद है। सिंह इस साल की शुरुआत में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान सरकार के लिए पर्दे के पीछे रहकर वार्ता कर रहे थे। जब वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर आधिकारिक तौर पर किसानों से बात कर रहे थे, सिंह अपने आवास पर प्रमुख किसान नेताओं के साथ बैठक कर रहे थे।

 

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...