प्रथम पूज्य गणेश… हर शुभ काम और अनुष्ठान में सबसे पहले क्यों की जाती है भगवान गणपति की पूजा, हिंदू धर्म के सभी ग्रंथ में बताए हैं जिसमें अलग-अलग कारण हैं। वहीं बेशक इन ग्रंथो में भगवान गणेश के प्रथम पूज्य होने के कारण अलग-अलग हों, लेकिन सभी ग्रंथों ने उन्हें सबसे पहले पूजे जाने वाला देवता ही बताया है।
गणेश बुद्धि के देवता हैं। हर काम के शुभारंभ से पहले हमें बेहतर योजना, दूरदर्शी फैसले और नेतृत्व की आवश्यकता होती है। अगर गणेश के पहले पूजन को सांकेतिक भी मानें तो ये सही है कि हर काम की शुरुआत के पहले बुद्धि का उपयोग आवश्यक है।
लिंग पुराण के अनुसार; गणेश विघ्न नाश करते हैं इसलिए सबसे पहले इनकी पूजा होती है। लिंग पुराण के अनुसार देवताओं ने भगवान शिव से राक्षसों के दुष्टकर्म में विघ्न पैदा करने के लिए वर मांगा। शिवजी ने वर देकर देवताओं को खुश कर दिया। समय आने पर गणेश जी प्रकट हुए। देवताओ नें गणेश कि पूजा-अर्चना की। तब भगवान शिव ने गणेश जी को दैत्यों के कामो में विघ्न पैदा करने का आदेश दिया। इसलिए हर मांगलिक काम और पूजा में नकारात्मक शक्तियों की रुकावटों से बचने के लिए विघ्नेश्वर गणेश जी की पूजा हिंदू धर्म में की जाती है।
महर्षि पाणिनी के अनुसार; गणेश सभी गुणों के स्वामी हैं इसलिए वे सभी देवता में प्रथम पूज्यनीय हैं। महर्षि पाणिनी के अनुसार दिशाओं के स्वामी यानी अष्टवसुओं के समूह को गण कहा जाता है। इनके स्वामी गणेश है इसलिए इन्हें गणपति कहा गया है। गणेश जी की पूजा के बिना देवी-देवता का आगमन होना असंभव है।
शिव महापुराण के अनुसार, भगवान शिव ने दिया प्रथम पूजा का वरदान। शिव महापुराण के अनुसार जब भगवान शिव और गणेश के बीच युद्ध हुआ और गणेश जी का सिर कट गया तो पार्वती के कहने पर हाथी का सिर गणेश के धर पर जोड़ दिया गया। और ऐसे में तब उस रूप में गणेश जी की पूजा कौन करता… इसलिए शिव जी ने वरदान दिया की हर मांगलिक कार्य में देवी- देवता से पहले गणेश जी की पूजा की जाएगी। इनके बिना हर पूजा और काम अधूरा माना जाएगा।
यह पोस्ट धार्मिक भावनाओं और धार्मिक क्रियाकलापों के आधार पर लिखा गया है “UP KI BAAT” न्यूज़ चैनल इस जानकारी की पुष्टि और जिम्मेदारी नहीं लेता है।
This post is written by Vinay Dubey