लॉकडाउन से लेकर अब तक सेस वसूली में ढिलाई को लेकर मुख्यमंत्री खासे नाराज हैं। मुख्यमंत्री ने श्रम विभाग को निर्माणाधीन भवन मालिकों से सख्ती से सेस वसूलने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री के इस आदेश के बाद श्रम विभाग ने आनन-फानन में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के गाजियाबाद और मेरठ के उप श्रमायुक्त और दोनो जिलों के दो-दो अपर श्रमायुक्त को सेस वसूली न करने पर चार्जशीट थमा दी है। विभाग ने अपने अधिकारियों को अभियान चलाकर सेस वसूली के आदेश दिए हैं।
भवन निर्माण में लगे श्रमिकों के कल्याण के लिए निर्माणाधीन सरकारी व निजी भवनों के मालिकों से श्रम विभाग का उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड भवन की लागत का एक फीसदी सेस वसूली करता है।
श्रमिकों के कल्याण की योजनाओं के लिए पैसा नहीं
पिछले फरवरी महीने तक कर्मकार कल्याण बोर्ड के खाते में सेस वसूली से ही पांच हजार करोड़ जमा थे। लेकिन इसके बाद केन्द्र सरकारी की बीमा योजनाओं की किस्तें भी इसी जमा धन से देने के आदेश के बाद श्रमिकों की कल्याणकारी योजनाओं के लिए अब यह जमा रकम धीमें-धीमें खत्म हो रही है।
प्रदेश सरकार के निर्देश पर श्रम विभाग को भवन निर्माण से जुड़े श्रमिकों का पंजीकरण 20 लाख से बढ़ाकर 81 लाख तक तीन महीने में करना है। आयुष्मान भारत योजना बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना की एक श्रमिक के लिए 1442 रुपए सलाना की किस्त आएगी। इस तरह 81 लाख सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के 4500 करोड़ रुपए किस्तें भरने में ही जा रहे हैं।
आपदा राहत में श्रमिकों को देने में खर्च हुए 400 करोड़
प्रदेश सरकार ने कोरोना संक्रमण के दौरान काम न मिलने के कारण घर पर खाली बैठे भवन निर्माण से जुड़े 20 लाख पंजीकृत श्रमिकों को आपदा राहत योजना के तहत एक-एक हजार महीने दिए हैं। इसका पूरा 400 करोड़ रुपए सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड को ही वहन करना पड़ा।
कर्मकार कल्याण बोर्ड का खजाना खाली होने के कारण श्रमिकों की कल्याणकारी योजनाओं पर असर पड़ेगा। यह जानकारी मिलने के बाद ही प्रदेश सरकार ने सेस वसूली में सख्ती दिखाने के निर्देश श्रम विभाग को दिए हैं।