रिपोर्ट: सत्यम दुबे
देहरादून: देव भूमि उत्तराखंड में रविवार को नंदादेवी ग्लेशियर के टूटने की वजह से धौलीगंगा नदी में बाढ़ आ गई। आपको बता दें कि एक जलविद्युत परियोजना पर काम कर रहे लगभग 170 से अधिक श्रमिक लापता हो गये हैं। जबकि इस भारी त्रासदी में 16 लोगो ने अपनी जान गंवा दी है। ग्लेशियर फटने से मची तबाही के कारण कई पॉवर प्रोजेक्ट पर असर पड़ा है।
घटना की सूचना जैसे ही मिली घटना स्थल पर तत्काल NDRF और ITBP को राहत बचाव के लिए भेजा गया। इस त्रासदी को देखते हुए भारतीय सेना को भी घटना स्थल पर राहत बचाव के लिए भेजा गया। भारतीय वायुसेना से जुड़े सूत्र की मानें तो तपोवन विष्णुगाढ़ हाइड्रो पॉवर प्लांट पूरी तरह से तहस-नहस हो गया है।
इस त्रासदी से धौलीगंगा और ऋषिगंगा नदी पर बने डैम पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं। यह क्षेत्र राजधानी देहरादून से करीब 280 किलोमीटर दूर है। तपोवन के पास मलारी घाटी की शुरुआत में बने दो पुल भी नष्ट हो चुके हैं। जोशीमठ और तपोवन के बीच मुख्य सड़क मार्ग पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है। घाटी में निर्माण कार्य और स्थानीय लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। प्रशासन की ओर से बीती शाम लोगों को राहत सामग्री पहुंचाई गई।
इस हादसे के बाद NTPC अधिकारियों ने प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 520 मेगावॉट का तपोवन हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य जारी था। इसकी लागत 3000 करोड़ रुपये है। साइट पर काम कर रहे करीब 170 श्रमिक लापता हैं। उनकी तलाश में अभियान जारी है। NDRF, SDRF, ITBP, थलसेना, वायुसेना समेत कई बचाव दल राहत कार्यों में जुटे हैं। सुरंग में फंसे कई मजदूरों को बाहर निकाला जा चुका है।