अक्सर हम देखते है की लोगों के कान में तेज दर्द होता है वही कइयों के तो खून आने लगता है। इसके अलावा कान के पर्दो में छेद हो जाता है और इसका एलोपेथी में सिर्फ एक ही इलाज़ है कि इसका ऑपरेशन करना पड़ता है।
इसके बाद भी कान से बदबू आती है और हमेशा रुई लगाकर रखनी पड़ती है तो इस समस्या से निदान का आयुर्वेदिक उपचार क्या हो ?
स्वामी रामदेव कहते है, जो व्यक्ति रोज़ सुबह कपालभाति और अनुलोम विलोम प्राणायाम करता है उसे कभी कान की समस्या नहीं होती है।
हाथ की सबसे छोटी ऊँगली और रिंग फिंगर के बीच के हिस्से को रोज़ दबाएं ,इस हिस्से का संबंध कान से होता है। इसके अलावा चंद्र प्रभावटी और शिलाजीत रसायन की एक एक गोली का इस्तेमाल करे।
स्वामी रामदेव कहते है कि कई बार कोई तिनका कान के अंदर चला जाता है और उसे निकालने के चलते भी कई बार पर्दों में छेद हो जाता है।
स्वामी रामदेव कहते है की जिनको कान के अंदर बहुत दर्द होता है या फुंसी हो जाती है उनके लिए कायाकल्प तेल सबसे अच्छा इलाज़ है। रोज़ इस तेल की 2 बून्द अपने काम ने डालें और इसकी गोली भी ले सकते है।
इसके अलावा कान के दर्द में गिलोय घनवटी भी ले सकते है। सुदर्शन एक पौधा होता है और उसका अर्क कान में डालने से कान का दर्द तुरंत ठीक हो जाता है।