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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट की सख्ती; आदेश न मानने पर डिप्टी कलेक्टर टाटा मोहन राव बने तहसीलदार, 1 लाख का जुर्माना

आंध्र प्रदेश के डिप्टी कलेक्टर टाटा मोहन राव को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना के चलते तहसीलदार पद पर डिमोट कर दिया गया। झुग्गियों को गिराने पर कोर्ट ने 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

By: RNI Hindi Desk 
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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट की सख्ती; आदेश न मानने पर डिप्टी कलेक्टर टाटा मोहन राव बने तहसीलदार, 1 लाख का जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए आंध्र प्रदेश के डिप्टी कलेक्टर टाटा मोहन राव को तहसीलदार पद पर डिमोट करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही ₹1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने पर की गई।

कोर्ट ने कहा: कोई भी कानून से ऊपर नहीं

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और एजी मसीह की पीठ ने यह निर्णय सुनाते हुए स्पष्ट किया कि “कोई भी व्यक्ति, चाहे कितना भी बड़ा पदाधिकारी क्यों न हो, कानून और अदालत के आदेशों से ऊपर नहीं हो सकता।” कोर्ट ने यह भी कहा कि आदेशों की अवहेलना लोकतंत्र की नींव पर सीधा हमला है।

झुग्गियां गिराई गईं, विस्थापित हुए लोग

टाटा मोहन राव ने गुंटूर जिले में तहसीलदार रहते हुए झुग्गी-झोपड़ियों को गिरा दिया था, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा रखी थी। इस कार्रवाई के बाद कई परिवार सड़क पर आ गए। कोर्ट ने इसे अड़ियल और कठोर रवैया बताते हुए कहा कि अधिकारी को यह कार्रवाई करने से पहले सोच लेना चाहिए था।

सजा के बजाय डिमोशन और जुर्माना

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने पहले ही टाटा मोहन राव को आदेश उल्लंघन का दोषी मानते हुए 2 महीने की सजा सुनाई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि उन्हें जेल भेजा गया तो उनकी नौकरी चली जाएगी, जिससे उनका पूरा परिवार प्रभावित होगा। इसलिए कोर्ट ने उन्हें डिमोट कर तहसीलदार पद पर भेजने और ₹1 लाख का जुर्माना लगाने का आदेश दिया।

पूरे देश के लिए संदेश: अदालत के आदेश सर्वोपरि

कोर्ट ने इस फैसले को एक संदेश बताया जो पूरे देश में जाना चाहिए कि “आप किसी भी पद पर हों, अदालत के आदेशों की अनदेखी नहीं की जा सकती।” अदालत ने यह भी दोहराया कि न्यायपालिका के आदेशों का पालन करना हर सरकारी अधिकारी की संवैधानिक जिम्मेदारी है।

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