दिल्ली के 1700 से अधिक निजी स्कूल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के चयनित छात्रों को दाखिला देने से इनकार नहीं कर सकते। यदि कोई निजी स्कूल इस नियम का उल्लंघन करता है, तो दिल्ली सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। यह बयान दिल्ली सरकार के मंत्री आशीष सूद ने दिया है।
शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत दाखिले की प्रक्रिया को पारदर्शी और सुचारू बनाने के लिए 5 मार्च को लॉटरी निकाली जाएगी। इस प्रक्रिया में मीडिया और अभिभावकों की उपस्थिति रहेगी, जिससे पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी बनी रहे। जिन छात्रों का नाम लॉटरी में आएगा और जिन स्कूलों का आवंटन होगा, वहां उन्हें दाखिला लेने के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।
सरकार का सख्त रुख: पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एसओपी जारी
दिल्ली सरकार ने ईडब्ल्यूएस छात्रों के दाखिले में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की है। मंत्री आशीष सूद के अनुसार, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता चाहती हैं कि हर बच्चे को बिना किसी परेशानी के स्कूल में प्रवेश मिले। एसओपी के तहत स्कूलों को बाध्य किया गया है कि वे चयनित छात्रों का दाखिला करने से इनकार नहीं कर सकते।
पूर्व सरकार पर लगे थे दाखिले में अनियमितता के आरोप
पिछली आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के कार्यकाल में निजी स्कूलों द्वारा ईडब्ल्यूएस छात्रों को दाखिला न देने की शिकायतें सामने आई थीं। कई बार अभिभावकों को बच्चों के एडमिशन के लिए संघर्ष करना पड़ा। हालांकि, इस बार सरकार ने दाखिला प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने और अनियमितताओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं।
दिल्ली में 2.5 लाख आवेदन, सीमित सीटें
ईडब्ल्यूएस दाखिले के लिए इस साल करीब 2.5 लाख आवेदन आए हैं। दिल्ली के निजी स्कूलों में नर्सरी एडमिशन के लिए कुल सीटों का 75% सामान्य श्रेणी के लिए आरक्षित होता है, जबकि शेष सीटें ईडब्ल्यूएस और अन्य आरक्षित वर्गों के लिए होती हैं।
सरकार के इस कदम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी के छात्रों को उनका हक मिले और किसी भी स्कूल को दाखिले में मनमानी करने का मौका न दिया जाए।