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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, भारत को 2050 से पहले विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित दो-दिवसीय विजिटर्स कॉन्फ्रेंस के समापन सत्र में भारत के भविष्य को लेकर बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि भारत को 2050 से पहले एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है,

By: Rekha 
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, भारत को 2050 से पहले विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित दो-दिवसीय विजिटर्स कॉन्फ्रेंस के समापन सत्र में भारत के भविष्य को लेकर बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि भारत को 2050 से पहले एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, और इसे हासिल करने के लिए शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार को मजबूत करना होगा।

शिक्षा और उद्योग जगत के बीच मजबूत साझेदारी जरूरी

अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग जगत के बीच बेहतर तालमेल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों में उत्कृष्ट शिक्षा की उपलब्धता से विद्यार्थियों को विदेश जाने की प्रवृत्ति में कमी आएगी और देश की युवा प्रतिभाओं का सही उपयोग राष्ट्र निर्माण में किया जा सकेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि आत्मनिर्भरता ही सही मायनों में एक मजबूत और विकसित अर्थव्यवस्था की पहचान है। अनुसंधान और नवाचार आधारित आत्मनिर्भरता से देश के उद्यम और उद्योग जगत को मजबूती मिलेगी।

भारत बनेगा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

राष्ट्रपति ने इस तथ्य को भी रेखांकित किया कि भारत तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में शिक्षा और उद्योग के बीच मजबूत संबंध होते हैं, जिससे शोध कार्य समाज और अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित होते हैं।

उन्होंने उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों से आग्रह किया कि वे औद्योगिक संस्थानों के वरिष्ठ लोगों के साथ नियमित संवाद स्थापित करें ताकि शिक्षा और उद्योग का तालमेल बेहतर हो सके।

छात्रों के लिए लचीली और समावेशी शिक्षा प्रणाली की जरूरत

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि विद्यार्थियों की विशेष प्रतिभा और आवश्यकताओं के अनुरूप लचीली और समावेशी शिक्षा प्रणाली का निर्माण किया जाना चाहिए। इसके लिए नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के त्वरित और प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता है, जिससे शिक्षा प्रणाली को और अधिक सशक्त बनाया जा सके।

केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शिक्षा प्रणाली में बदलाव पर दिया जोर
इस अवसर पर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी सभा को संबोधित किया और कहा कि भारत की शिक्षा प्रणाली को नए युग के अनुरूप ढालना सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए ज्ञान आधारित और आत्मनिर्भर भारत की नींव को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।

नवाचार, आत्मनिर्भरता और शिक्षा से सशक्त बनेगा भारत

राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि चरित्रवान, समझदार और योग्य युवाओं के बल पर ही कोई राष्ट्र सशक्त और विकसित बनता है। शिक्षण संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वे युवाओं के चरित्र, विवेक और क्षमता को निखारें ताकि वे देश के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर सकें।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुख, उच्च शिक्षा के उदात्त आदर्शों को हासिल करेंगे और भारत की युवा शक्ति को सही दिशा प्रदान करेंगे। इस प्रकार, भारत 2050 से पहले एक विकसित राष्ट्र बनने के अपने लक्ष्य की ओर मजबूती से कदम बढ़ा रहा है।

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