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Delhi News : दिल्ली-NCR में प्रदूषण पर लगेगी लगाम: जाने GRAP के चार चरणों की पूरी जानकारी

दिल्ली और इसके आसपास के NCR क्षेत्र में प्रदूषण, विशेषकर सर्दियों के मौसम में, एक गंभीर समस्या बन जाता है। यह न केवल नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है, बल्कि पर्यावरण पर भी इसका दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है।

By: Abhinav Tiwari 
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Delhi News : दिल्ली-NCR में प्रदूषण पर लगेगी लगाम: जाने GRAP के चार चरणों की पूरी जानकारी

दिल्ली और इसके आसपास के NCR क्षेत्र में प्रदूषण, विशेषकर सर्दियों के मौसम में, एक गंभीर समस्या बन जाता है। यह न केवल नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है, बल्कि पर्यावरण पर भी इसका दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है।

दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) तैयार किया है, जो प्रदूषण की बढ़ती गंभीरता के आधार पर विभिन्न उपायों को लागू करता है। GRAP का उद्देश्य प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करना और जीवन की गुणवत्ता को सुधारना है।

GRAP के चार चरण

GRAP को चार चरणों में बांटा गया है, जो प्रदूषण की गंभीरता के आधार पर लागू होते हैं।

1. GRAP 1: हल्के प्रतिबंध

जब प्रदूषण का स्तर मामूली बढ़ोतरी दिखाता है, तो GRAP 1 लागू होता है। इस चरण में प्रमुख उपायों में निम्नलिखित शामिल हैं।

निर्माण कार्यों पर आंशिक रोक: निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कुछ दिशानिर्देश लागू किए जाते हैं।

औद्योगिक उत्सर्जन पर निगरानी: प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के उत्सर्जन पर कड़ी निगरानी रखी जाती है।

वाहन उत्सर्जन नियंत्रण: वाहनों से निकलने वाली गैसों और धुएं को नियंत्रित करने के लिए उत्सर्जन मानकों को सुनिश्चित किया जाता है।

यह चरण तब लागू किया जाता है जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 201-300 के बीच होता है।

2. GRAP 2: कड़े प्रतिबंध

यदि प्रदूषण स्तर और बढ़ जाता है, तो GRAP 2 लागू किया जाता है। इस चरण में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई कड़े कदम उठाए जाते हैं।

स्कूलों और कॉलेजों का बंद होना: छात्रों को प्रदूषण से बचाने के लिए शैक्षणिक संस्थानों को बंद किया जा सकता है।

निजी वाहनों पर रोक: प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने के लिए निजी वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

पराली जलाने पर रोक: इस समय खेतों में पराली जलाने पर कड़ी निगरानी रखी जाती है, क्योंकि यह प्रदूषण का एक बड़ा कारण बनता है।यह चरण तब लागू होता है जब AQI 301-400 के बीच होता है।

3. GRAP 3: अत्यधिक प्रदूषण

जब प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है, तो GRAP 3 लागू किया जाता है। इस चरण में अधिक कड़े कदम उठाए जाते हैं।

औद्योगिक गतिविधियों को सीमित करना: प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों की गतिविधियों को नियंत्रित किया जाता है।

सार्वजनिक और निजी परिवहन पर पाबंदी: सड़कों पर वाहनों की संख्या पर कड़ी निगरानी रखी जाती है, और प्रदूषण बढ़ाने वाले वाहनों को प्रतिबंधित किया जाता है।

पराली जलाने पर कड़ा नियंत्रण: किसानों को पराली जलाने से पूरी तरह से रोका जाता है और इसके लिए वैकल्पिक उपायों को बढ़ावा दिया जाता है।यह चरण तब लागू होता है जब AQI 401-500 के बीच होता है।

4. GRAP 4: सबसे कड़ा और उच्चतम स्तर

GRAP 4 सबसे कड़ा और उच्चतम स्तर है, जो तब लागू होता है जब प्रदूषण का स्तर अत्यंत गंभीर हो जाता है। इस चरण में सभी प्रकार के प्रतिबंध लागू होते हैं।

सभी निर्माण कार्यों पर रोक: धूल और प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए सभी निर्माण कार्यों को तत्काल रोक दिया जाता है।

औद्योगिक इकाइयों का बंद होना: प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों और औद्योगिक इकाइयों को पूरी तरह से बंद किया जा सकता है।

कोयला आधारित ईंधन पर प्रतिबंध: वायु प्रदूषण को और अधिक बढ़ने से रोकने के लिए कोयला आधारित ईंधन के उपयोग पर पाबंदी लगाई जाती है।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट और निजी वाहनों पर प्रतिबंध: इस स्तर पर सार्वजनिक और निजी परिवहन दोनों पर कड़ी पाबंदियाँ लागू की जाती हैं।यह चरण तब लागू होता है जब AQI 500 से ऊपर होता है, जो प्रदूषण के अत्यधिक खतरनाक स्तर को सूचित करता है।

जाने GRAP का उद्देश्य और लाभ

GRAP का मुख्य उद्देश्य दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करना और नागरिकों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना है। प्रदूषण के कारण विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे सांस की बीमारियाँ, अस्थमा, और दिल की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

इसके अतिरिक्त, प्रदूषण का पर्यावरण पर भी गहरा असर पड़ता है। GRAP के तहत लगाए गए प्रतिबंधों से इन समस्याओं को नियंत्रित करने की कोशिश की जाती है।

GRAP के तहत लागू किए गए प्रमुख प्रतिबंध

निर्माण कार्यों पर रोक: निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल को नियंत्रित किया जाता है।

औद्योगिक इकाइयों का बंद होना: प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों को बंद किया जाता है।

स्कूलों और कॉलेजों का बंद होना: बच्चों को प्रदूषण से बचाने के लिए शैक्षणिक संस्थानों को बंद किया जाता है।

कोयला आधारित ईंधन पर प्रतिबंध: कोयला जलाने पर पाबंदी लगाई जाती है, ताकि वायु प्रदूषण कम हो सके।

 

This Post is written by Abhijeet Kumar yadav

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