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केले की फसल लगाएं और लाखों का मुनाफा पाएं: पढ़िए जानकारी

By: RNI Hindi Desk 
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केले की फसल लगाएं और लाखों का मुनाफा पाएं: पढ़िए जानकारी

केले की फसल से ज्यादा पैदावार लेने और अच्छी गुणवत्ता का केला प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि केले की पौध से लेकर फल कटने तक हर छोटी-बड़ी जानकारी हो और तकनीकी पहलुओं को सही तरीके से आजमाया जाए।

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केला अधिक आय देने वाली फसल है, लेकिन ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल में समस्माएं भी ज्यादा होती है। मुख्य बात ये है कि अगर हम फसल सुरक्षा को ध्यान में रखकर केले की खेती करें तो लागत में कमी के साथ अधिक मुनाफा हो सकता है।

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किसान भाई जिस खेत में केला लगाना चाहते हैं, पहले उसकी जांच जरुरी है, ताकि ये पता चल जाए कि ऐसे फसल के लिए जमीन उपजाऊ है कि नहीं, जमीन में पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व हैं कि नहीं। इसका सबसे अच्छा तरीका है मिट्टी की जांच कराएं।

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इसकी खेती के लिए चिनकी बलुई मिट्टी उपयुक्त है, लेकिन इस जमीन का पीएच स्तर 6-7.5 के बीच होना चाहिए, ज्यादा अम्लीय या छारीय मिट्टी फसल को नुकसान पहुंचा सकती है। खेत में जलभराव न होने पाए, यानि पानी निकासी की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए, साथी खेत का चुनाव करते वक्त ये भी ध्यान रखना चाहिए कि हवा का आवागमन बेहतर होना चाहिए, इसलिए पौधे लाइन में लगाने चाहिए। दूसरी बात है अच्छी पौध।

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टिशू कल्चर से तैयार पौधों में रोपाई के 8-9 महीने बाद फूल आना शुरू होता है और एक साल में फसल तैयार हो जाती है इसलिए समय को बचाने के लिए और जल्दी आमदनी लेने के लिए टिशू कल्चर से तैयार पौधे को ही लगाएं।

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केले की रोपाई के लिए जून-जुलाई सटीक समय है। सेहतमंद पौधों की रोपाई के लिए किसानों को पहले से तैयारी करनी चाहिए। जैसे गड्ढ़ों को जून में ही खोदकर उसमें कंपोस्ट खाद (सड़ी गोबर वाली खाद) भर दें। जड़ के रोगों से निपटने के लिए पौधे वाले गड्ढे में ही नीम की खाद डालें। केचुआ खाद अगर किसान डाल पाएं तो उसका अलग ही असर दिखता है।

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मप्र के बुरहानपुर व महाराष्ट्र के जलगांव, बुलढाना, अमरावती जिले में केले का उत्पादन अच्छा खासा होता है अब यहां का केला उत्तर भारती की सभी मंडियों में अपनी भरपूर मांग के साथ साथ अब विदेशों खासकर अरब देशों में भी इस केले की मांग बढी है लिहाजा केला निर्यात में लगी मल्टीनेशनल कंपनिया यहां के केला उत्पादक किसानों से केला खऱीदकर केले का निर्यात कर रही है मप्र के बुरहानपुर जिले के शाहपुर में रहने वाले किसान राजेंद्र चौकसे केला निर्यात कंपनियों को केला देकर खूब मालामाल हो रहे है।

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किसान राजेंद्र चौकसे के अनुसार सन 1987 में क्षेत्र में पानी का काफी अकाल पडा था तब उन्होने अपने पिता के साथ केले की खेती करना सीखी तब उनके परिवार की महज 12 एकड जमीन थी पिता ने उन्हें पूरी तरह खेती की देखरेख का जिम्मा दिया जिसके चलते आज जमीन के रकबे का आंकडा 50 एकड के पार हो गया है किसान राजेंद्र चौकसे ने कृषि दर्पण को केले की खेती कैसी की जाती है।

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केला खेती के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों को विस्तार से बताया उनके अनुसार अभी उनके खेत में 45 हजार केले के पौधे है जिस पर उन्हें अनुमातिन लागत 70 रूपए से 80 रूपए प्रति पौधा आती है इसे एवज में उऩ्हें 200 रूपए से 250 रूपए प्रति पौधे से उत्पादन हासिल हो जाता है।

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किसान पौध रोपाई के दौरान ही बूंद-बूंद सिंचाई प्रणाली स्थापित करवा लें। मोर ड्राप पर क्रॉप के तहत एक तरफ सरकार जहां 90 फीसदी तक सब्सिडी दे रही है वहीं सिंचाई में काफी बचत होगी। पानी कम लगेगा और मजदूरों की जरुरत नहीं रह जाएग। ड्रिप सिस्टम लगा होने पर कीटनाशनकों आदि छिड़काव के लिए भी ज्यादा मशक्कत नहीं करनी होगी। केले को पौधों को कतार में इन्हें लगाते वक्त हवा और सूर्य की रोशनी का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए।

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