रिपोर्ट- पल्लवी त्रिपाठी
नई दिल्ली : नवरात्रि की शुरुआत आज से हो गयी है । नवरात्र पर्व का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है । दुर्गा मां का यह रूप बेहद शांत, सौम्य व मोहक होता है । आज हम आपको माता के स्वरूप, पूजन विधि, व्रत कथा आदि के बारे में बताने जा रहे हैं ।
ब्रह्मचारिणी का मतलब होता है- तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली । दरअसल, देवी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए हजारों सालों तक बेल-पत्र और निर्जल और निराहार रहकर तपस्या की थी । जिसके चलते उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया । मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बेहद सरल है । वे श्वेत रंग की साड़ी धारण किए हुए हैं । उनके दाहिने हाथ मे जप की माला होती है और बांए हाथ मे कमंडल रहता है ।
इस विधि से करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-
नवरात्रि के दूसरे दिन यानी मां ब्रह्मचारिणी के दिन सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करें । जिसके बाद श्वेत यानी सफेद रंग के वस्त्र पहनें । फिर हाथों में फूल लेकर देवी ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें और प्रार्थना करें । देवी को पंचामृत से स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल,अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर अर्पित करें।
ध्यान रखें माता ब्रह्मचारिणी को सफेद व सुगंधित फूल चढ़ाएं। इसके अलावा कमल का फूल भी देवी मां को अर्पित कर सकते हैं और इन मंत्रों से प्रार्थना करें।
1. या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
2. दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
मंत्र उच्चारण के बाद देवी मां को शक्कर का प्रसाद चढ़ाएं । प्रसाद के बाद पान सुपारी भेंट करें और प्रदक्षिणा करें यानी अपनी ही जगह खड़े होकर 3 बार घूमें । जिसके बाद घी का दीपक जलाकर माता की आरती करें। पूजा संपन्न होने के बाद मां से अपनी भूल चूक के लिए माफी मांगे ।