रिपोर्ट :- मोहम्मद आबिद
लखनऊ : अनाथ बच्चे जिनका कोई नहीं होता है लेकिन भारत में ऐसे बच्चों के लिए दर्जनों संस्थाएं काम कर रही है जिससे बच्चों के उत्थान का काम किया जा सके। अनाथ बच्चों के उत्थान के लिए काम कर रही लखनऊ की पौलोमी पाविनी शुक्ला इस समय चर्चा में शामिल हैं और पाविनी बच्चों के विकास के लिए दिन-रात मेहनत कर रही है इसके साथ ही पाविनी शुक्ला बच्चों की पढ़ाई का भी ध्यान रखती हैं।
अपने बेहतर काम के लिए विश्व में विख्यात हुई पौलोमी पाविनी शुक्ला सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं और उनके इस काम की वजह से फोर्ब्स इंडिया ने अपनी सूची में उन्हें जगह दी है। बता दें कि फोर्ब्स पत्रिका हर साल 30 ऐसे व्यक्तियों की सूची जारी करती है, जो 30 साल से कम उम्र में ही समाज के बड़े बदलावों में अहम भूमिका निभाई हो।और उनके इस काम की वजह से वर्ष 2021 की सूची में फोर्ब्स ने शामिल किया है।
सुप्रीम कोर्ट में वकील पौलोमी पाविनी शुक्ला ने अपनी एक कहानी साझा की है जिसमें उन्होंने अपने वो पल बयान किए है जिसमें हर किसी का दिल दहल जाए। पौलोमी पाविनी शुक्ला ने कहा की 2001 में वे अपनी मां के साथ हरिद्वार में थीं। मां अराधना शुक्ला वहां डीएम थीं। उसी दौरान भुज में भूकंप आया था। बड़ी संख्या में बच्चे हरिद्वार के अनाथालय लाए गए थे। उनकी कहानियों ने मुझे झकझोर दिया। लगा कि इनका अब क्या होगा। खैर इसके बाद मैंने पढ़ाई पूरी की और 11 राज्यों में 100 से अधिक अनाथालयों में गई। वहां बच्चों के बारे बारे में जानने के बाद भाई अमंद के साथ मिलकर वीकेस्ट आन अर्थ-आरफेंस ऑफ इंडिया पुस्तक लिखी। इसे ब्लूम्सबेरी प्रकाशन ने प्रकाशित किया था।