रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमा पर भले ही भले ही पंजाब के किसान केंद्र सरकार के तीनो नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदालनरत हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि आजादी के बाद पहली बार पंजाब के किसानों की गेंहू की बिक्री का पैसा उनके बैंक खातों में पहुंच गया है। खास बात यह है कि ये पैसा उनके खाते में बिना किसी देरी के पहुंच रहा है।
केन्द्र सरकार ने एक देश, एक MSP (न्यूनतम समर्थन मुल्य) और एक DBT (डायरेक्ट बेनेफीट ट्रांसफर) मिशन के तहत साल 2021-22 में रबी फसल के लिए पंजाब के किसानों को MSP के तहत सीधा बैंकों में पैसा ट्रांसफर करना शुरु किया है। सरकारी आंकड़ों की माने तो लगभग 21 लाख से ज्यादा किसानों को इसका फायदा हो चुका है और लगभग 8180 करोड़ रुपये पंजाब के किसानों के खातों में सीधे भेजे गए हैं। खास बात यह है कि बिना किसी बिचौलिए के किसानों के खाते में पैसा पहुंचा है।
भरतीय खाद्य निगम FCI और दूसरी एजेंसियों ने पंजाब, हरियाणा, यूपी, चंडीगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान औग दूसरे राज्यों से अब तक 222.33 लाख मेट्रीक टन गेहूं खरीदा है। ये आंकड़े 25 अप्रैल तक के हैं, जबकि बाक करें पिछले साल की तो पिछले साल इतने ही समय में सिर्फ 77.57 लाख मेट्रीक टन गेहूं की खरीद केन्द्र सरकार ने की थी। साल 2021-22 की खरीद में पंजाब से सबसे ज्यादा 84.15 लाख मेट्रीक टन की खरीद हो चुकी है जो कि पूरे देश का 37.8 फीसदी हिस्सा है।
बात करें हरियाणा से तो यहां से 71.76 लाख टन (32.27 फीसदी) और मध्यप्रदेश से 51.57 लाख मेट्रीक टन यानी 23.2 फीसदी की खरीद की जा चुकी है। इसी खरीद में 25 अप्रैल तक पंजाब के किसानों के खाते में 8180 करोड़ और हरियाणा के किसानों के खाते में सीधा 4668 करोड़ रुपये पहुंच चुके हैं।
इधर किसान अड़े है कि सरकार अपना कृषि बिल वापस ले। वहीं सरकार का कहना है पंजाब में किसानों को MSP का सीधा फायदा नहीं मिलता, उस तंत्र को बदलने की कोशिश मे सरकार लग गई है। अब केन्द्र सरकार और उसकी एजेंसियों ने बिचौलियों को छोड़ सीधा किसानों के खाते में खरीद का पैसा ट्रांसफर करने की शुरुआत कर दी है।