नई दिल्ली: केंद्र सरकार के कर्मचारियों दिवाली का तोहफा दिया है। यह महंगाई भत्ता एक जुलाई से लागू कर दिया गया है। डीए में 28 फीसदी से बढ़ाकर 31 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। जुलाई 2021 से महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी के साथ एरियर भी मिलेगा। केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 31 फीसदी डीए के साथ एरियर भी मिलेगा। केंद्र सरकार के कर्मचारियों को बढ़े हुए डीए का लाभ अक्टूबर 2021 से मिलना शुरू हो जाएगा। उन्हें 31 फीसदी की दर से भुगतान किया जाएगा।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते को मूल वेतन के 28 प्रतिशत से बढ़ाकर 31 प्रतिशत कर दिया गया है, जो एक जुलाई 2021 से प्रभावी होगा। वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले व्यय विभाग ने एक कार्यालय ज्ञापन में कहा कि ‘मूल वेतन’ का अर्थ 7वें वेतन आयोग के अनुसार प्राप्त वेतन है और इसमें कोई अन्य विशेष वेतन या भत्ता शामिल नहीं है।
व्यय विभाग ने 25 अक्टूबर को जारी कार्यालय ज्ञापन में कहा, ‘‘…केंद्र सरकार के कर्मचारियों को देय महंगाई भत्ता 1 जुलाई, 2021 से मूल वेतन के मौजूदा 28 प्रतिशत से बढ़ाकर 31 प्रतिशत किया जाएगा।’’ यह बढ़ोतरी रक्षा सेवाओं से वेतन पाने वाले असैन्य कर्मचारियों पर भी लागू होगी, जबकि सशस्त्र बलों के कर्मियों और रेलवे कर्मचारियों के संबंध में रक्षा और रेल मंत्रालय अलग से आदेश जारी करेंगे।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले हफ्ते केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते (डीए) और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई राहत (डीआर) को मौजूदा 28 फीसदी से तीन प्रतिशत बढ़ाने को मंजूरी दी थी। इस फैसले से केंद्र सरकार के करीब 47.14 लाख कर्मचारियों और 68.62 लाख पेंशनभोगियों को फायदा होगा।
इस साल जुलाई में डीए की दर 17 फीसदी से बढ़ाकर 28 फीसदी कर दी गई थी। अब तीन फीसदी की बढ़ोतरी के साथ डीए की दर 31 फीसदी हो जाएगी। महंगाई भत्ते और महंगाई राहत के कारण राजकोष पर कुल 9,488.70 करोड़ रुपये का असर होगा।
क्या होता है महंगाई भत्ता?
महंगाई भत्ता (DA) सरकारी कर्मचारियों के रहन सहन के स्तर को और बेहतर बनाने के लिए मुहैया कराया जाता है. महंगाई बढ़ने के बाद भी कर्मचारी के रहन-सहन के स्तर पर किसी तरह का स्तर ना पड़े इस इसलिए इसमें बढ़ोतरी की जाती है। यह भत्ता सरकारी कर्मचारियों, पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों और पेंशनधारकों को दिया जाता है। इसकी शुरुआत दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हुई थी। उस वक्त इसे खाद्य महंगाई भत्ता या डियरनेस फूड अलाउंस कहते थे। भारत में मुंबई में साल 1972 में सबसे पहले महंगाई भत्ते की शुरुआत हुई थी। इसके बाद केंद्र सरकार सभी सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाने लगा।