भारत के CJI संजीव खन्ना ने दिल्ली रिज क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई से जुड़े मामलों पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। सीजेआई ने सोमवार को अदालत में यह स्पष्ट किया कि जब वे राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष थे, तो उन्होंने दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के साथ पटना में जेलों का दौरा किया था, और इस कारण से इस मामले की सुनवाई में उनका हिस्सा होना उचित नहीं होगा ।
इस घोषणा के बाद, पीठ ने मामले की सुनवाई को अगले सप्ताह 27 नवंबर से शुरू होने वाली सुनवाई को एक नई पीठ के सामने रखने का आदेश दिया। इस पीठ में सीजेआई खन्ना शामिल नहीं होंगे, ताकि इस मामले की निष्पक्षता बनी रहे।
दिल्ली रिज क्षेत्र में सैकड़ों पेड़ों की कथित अवैध कटाई का यह मामला कुछ दिनों से मीडिया में बना हुआ है । इस मामले में दिल्ली कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) से सवाल पूछा था कि क्या उन्होंने पेड़ों की कटाई के मामले में बदलाव करने के लिए क्या कोई कदम उठाया है? गौरतलब है कि इस संदर्भ में अदालत ने पहले भी पूछा था कि अधिकारियों ने रिज क्षेत्र में कितने पेड़ लगाए हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से गोपाल शंकरनारायणन ने अदालत में भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) की एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसके अनुसार कुल 1,670 पेड़ काटे गए थे। हालांकि, डीडीए ने पहले कहा था कि काटे गए पेड़ों की संख्या 642 थी। ऐसे में इस रिपोर्ट को लेकर याचिकाकर्ता ने अधिकारियों पर अवमानना का आरोप भी लगाया है।
पिछली सुनवाई में, न्यायालय ने डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में गंभीर सवाल उठाए थे। पीठ ने DDA को आदेश दिया था कि रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई से उत्पन्न नुकसान की भरपाई के लिए 3,340 पेड़ लगाए जाएं, और साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि हर काटे गए पेड़ के बदले 100 नए पेड़ लगाए जाएं। इसके अलावा, अदालत ने DDA के अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी कर दिया है।
This Post is written by Shresyasi Gupta