रिपोर्ट: सत्यम दुबे
रायपुर: शनिवार को छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले में 22 जवान शदीह हो गये। इन्ही शदीह जवानों में सब इंस्पेक्टर दीपक भारद्वाज भी शामिल हैं। दीपक भारद्वाज उन दिलेर सिपाहियों में से थे, जो अपनी जान की परवाह किये बगैर साथियों का जान बचाने के लिए नक्सलियों से सामने से लोहा लेने लगे। उनकी दिलेरी की प्रशंसा जितनी की जाय उतनी कम है। वो अपने कुछ साथियों को बचाने में कामयाब तो हुए लेकिन खुद वो देश के लिए शहीद हो गये।
दीपक भारद्वाज मालखरौंदा के रहने वाले थे, जो बीजापुर से करीब 600 किलो मीटर की दूरी पर है। दीपक के शहीद हो जाने की खबर जब उनके पिता राधेलाल को लेगी, तो उन्होने यकीन ही नहीं किया। खबर पाते ही वो तत्काल बीजापुर के लिए निकले। वहां वो करीब चार घंटे भटकते रहे, उसके बाद शहीद दीपक का चेहरा देख पाये।
पिता राधेलाल ने अपने बेटे पर गर्व करते हुए कहा कि बेटे के शहीद होने का दुख तो है, लेकिन गर्व भी है कि वो अमर हो गया। उन्होने आगे कहा कि उसने बहादुरी दिखाई है। आपको बता दें कि दीपक की शादी साल 2019 में हुई थी। हाल ही में दीपक की शादी की दूसरी सालगिरह आने वाली थी। लेकिन उससे पहले ही उन्होने अपने आप को भारत माता के नाम कर दिया।
पिता राधेलाल ने बताया कि जब वो अस्पताल पहुंचे तो उस वक्त जवानों के शव को लाया जा रहा था। उन्होने आगे कहा कि उन शवों को देखकर दिल बैठा जा रहा था। 6वें नंबर पर दीपक का शव था। इसके बाद उनके ऑखों के आंसू निकलने लगे। आपको बता दें कि दीपक छत्तीसगढ़ पुलिस में सब इंस्पेक्टर थे। वे अपनी टीम को लीड कर रहे थे।
दीपक 4-5 जवानों को वहां से सुरक्षित निकाल चुके थे, इसी बीच IED ब्लास्ट की चपेट में आ गए और शहीद हो गए। दीपक का जन्म 6 सितंबर, 1990 को हुआ था। दीपक ने 16 सितंबर, 2013 में छत्तीसगढ़ पुलिस ज्वाइन की थी। तब उनकी उम्र 23 साल थी। वे पहले भी कई नक्सली ऑपरेशन सफल बना चुके थे। लेकिन इस बार नक्सलियों ने धोखे से उन पर हमला किया।
मां को बताया गया था कि दीपक घायल हुए हैं, लेकिन बाद में असलियत पता लगने के बाद उनकी मां बेसुध हो गई। दीपक का शव तर्रेम थाना क्षेत्र के जीवनागुड़ा इलाके में एक पेड़ के पास मिला था।