केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान काफी दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों और सरकार के बीच के गतिरोध को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी का गठन किया था। सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया था, इसमे चारों सदस्यों के चयन को लेकर सवाल खड़े होने लगे थे। किसान इन चारों सदस्यों का विरोध कर रहे थे क्योंकि उनका मानना है कि ये सभी लोग नए कानूनों के समर्थक हैं।
ऐसे में कमेटी के सदस्य भूपिंदर मान ने अपना नाम कमेटी से वापस ले लिया है। भूपिंदर मान ने पत्र लिखकर कमेटी से अपना नाम वापस लेने का फैसला लिया है। मान ने कहा कि मौजूदा स्थिति में लोगों की भावनाओं को देखते हुए मैं अपना पद त्यागने को तैयार हूं ताकि पंजाब और किसानों के हितों के साथ किसी भी तरह का कोई समझौता ना हो।
पत्र में भूपिंदर सिंह मान ने लिखा कि मैं सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया अदा करता हूं कि उसने मुझे चार सदस्यी कमेटी में किसान संगठनों से बात करने के लिए चुना। मैं खुद एक किसान हूं और एक यूनियन का लीडर हूं, ऐसे में मौजूदा स्थिति और भावनाओं को देखते हुए मैं खुद को इस कमेटी से अलग करता हूं जिससे कि पंजाब और किसानों के हितों से किसी भी तरह का कोई समझौता ना हो। मैं अपने पंजाब के किसानों के साथ हमेशा खड़ा रहूंगा।
बता दें कि भूपिंदर सिंह मान 1990-96 तक निर्दलीय सदस्य के तौर पर राज्य सभा के सदस्य रह चुके हैं। मान ने 2012, 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन किया था। मान ने केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का समर्थन किया था। उनके बेटे पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन में 2018 से कार्यरत हैं और वह खुद अमरिंदर सिंह की सरकार में कुछ समय के लिए पंजाब इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड के सदस्य रह चुके हैं।