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पीरियड्स के टाइम जब इस महिला की आंखों से बहने लगा Blood, डाक्टर भी हुए शॉक्ड…

By: RNI Hindi Desk 
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पीरियड्स के टाइम जब इस महिला की आंखों से बहने लगा Blood, डाक्टर भी हुए शॉक्ड…

रिपोर्ट: गीतांजली लोहनी

नई दिल्ली:  आमतौर पर 10 से 14 साल की उम्र में लड़कियों को पीरियड्स आने शुरु हो जाते हैं। और इस दौरान कई महिलाओं को पेट में एठन या दर्द का सामना करना पड़ता है। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि पीरियड्स के वक्त किसी के आंखों से खून निकल गया हो। ये बात सुनने में जितनी शौकिंग (चौंकाने वाली) लगती है उससे कहीं ज्यादा उस वक्त उस डॉक्टर के होश उड़ गये जब एक महिला उसके पास आंखों से खून बहने की शिकायत लेकर पहुंची।

जी हां ये बात बिल्कुल सच है, और चंडीगढ़ के एक अस्पताल की है जहां 25 साल की एक महिला खून के  आंसू लेकर डॉक्टर के पास पहुंची। हालांकि आंखों से खून बहने के कारण महिला को किसी भी प्रकार का दर्द या परेशानी नहीं हो रही थी, लेकिन उसने डॉक्टरों को बताया कि उसे एक महीने पहले भी इस तरह की तकलीफ हुई थी।

बता दें कि डॉक्टर के पास जाने के बाद उस महिला को कई नेत्र विज्ञान और रेडियोलॉजिकल टेस्ट से गुजरना पड़ा था।  हालांकि यहां चौंकाने वाली बात ये भी है कि उसकी सभी मेडिकल रिपोर्ट्स नॉर्मल आयी। और डॉक्टर ब्लीडिंग के आने का पता नहीं लगा सके साथ ही महिला ने भी बताया कि उसे पहले से आंखों से संबंधित कोई समस्या नहीं थी।

मामले की अधिक विस्तार से जांच करने के बाद डॉक्टरों ने पाया कि जब-जब महिला की आंखों से खून के आंसू निकले थे, तब-तब वो वक्त उसके पीरियड्स यानी मासिक माहवारी का था। और आखिर में डॉक्टरों को महिला के नेत्र संबंधी मासिक धर्म के बारे में पता चला।

बताते चलें कि इस दुर्लभ स्थिति को एक्सट्रेजिनल अंगों (Extragenital Organs) से मासिक धर्म के दौरान होने वाले चक्रीय रक्तस्राव के रूप में वर्णित किया गया है। इस दुर्लभ स्थिति में पीरियड्स के दौरान महिला के होंठ, आंख, फेफड़े और पेट से भी खून बहने लगता है।

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित होने के बाद महिला का यह दुर्लभ मामला सामने आया. अध्ययन के लेखकों ने कहा कि मासिक धर्म के दौरान हार्मोनल परिवर्तन इन अंगो की संवहनी पारगम्यता (Vascular Permeability) को प्रभावित करते हैं, जिसके कारण ब्लीडिंग होती है। इसके बावजूद सटीक शारीरिक कारण का तो अभी तक पता चल ही नहीं पाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) या एक्सट्रोजेनिटल अंगों में एंडोमेट्रियो टिशू (Endometrial Tissue) की उपस्थिति विकसित होने का कारक हो सकती है। फाइनली बिमारी का पता लगने के बाद उस महिला का इलाज किया गया और इलाज के तीन महीनें बाद महिला की सारी समस्या खत्म हो गयी।

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