केंद्र सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी अरावली ग्रीन वॉल परियोजना के पहले चरण में 8 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बिगड़े हुए इकोसिस्टम को सुधारने की योजना बनाई है। इस परियोजना के तहत उत्तर-पश्चिम भारत में अरावली पर्वत श्रृंखला के चारों ओर हरित बफर क्षेत्र विकसित किया जाएगा। इसका उद्देश्य थार रेगिस्तान के विस्तार को नियंत्रित करना और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखना है।
16,053 करोड़ रुपये होंगे खर्च
सरकार इस परियोजना के पहले चरण में 16,053 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना रही है। अरावली पर्वतमाला गुजरात से दिल्ली तक 700 किलोमीटर तक फैली हुई है और यह थार रेगिस्तान के विस्तार को रोकने में प्राकृतिक अवरोध का काम करती है। इसके साथ ही, यह दिल्ली, जयपुर और गुरुग्राम जैसे शहरों को भी पर्यावरणीय क्षति से बचाती है।
अरावली: भारत की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला
अरावली पर्वत श्रृंखला भारत की सबसे पुरानी पर्वत शृंखलाओं में से एक है और यह चंबल, साबरमती और लूनी जैसी महत्वपूर्ण नदियों का स्रोत भी है। इसके जंगल, घास के मैदान और आर्द्रभूमि लुप्तप्राय पौधों और जानवरों की प्रजातियों के लिए आश्रय स्थल का कार्य करते हैं।
वनों की कटाई और खनन से बढ़ी चुनौतियां
हालांकि, खनन, वनों की कटाई और अतिक्रमण के कारण अरावली की पारिस्थितिकी तंत्र को भारी नुकसान हुआ है। इससे मरुस्थलीकरण की समस्या बढ़ रही है, भूजल स्तर गिर रहा है, और झीलें सूखने की कगार पर हैं।
‘अरावली ग्रीन वॉल’ पहल की शुरुआत
इन्हीं समस्याओं से निपटने के लिए सरकार ने मार्च 2023 में ‘अरावली ग्रीन वॉल’ पहल शुरू की। इसके तहत गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में 64.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 5 किलोमीटर चौड़ी हरित पट्टी विकसित की जाएगी। इस बफर जोन के तहत करीब 42% (27 लाख हेक्टेयर) भूमि क्षरित पाई गई है, जिसमें से 81% राजस्थान, 15.8% गुजरात, 1.7% हरियाणा, 1.6% दिल्ली में स्थित है।
2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर भूमि को बनाया जाएगा उपजाऊ, परियोजना के पहले चरण में 8,16,732 हेक्टेयर वन क्षेत्र को पुनर्जीवित किया जाएगा, जिसमें –दिल्ली में 3,010 हेक्टेयर,
गुजरात में 5,677 हेक्टेयर,हरियाणा में 3,812 हेक्टेयर,राजस्थान में 99,952 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल हैं।
इस परियोजना के तहत 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर भूमि को उपजाऊ बनाया जाएगा और 2.5 से 3 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर अतिरिक्त अवशोषण क्षमता विकसित की जाएगी।
जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में मिलेगी मदद
यह परियोजना भारत के जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। सरकार का उद्देश्य वन क्षेत्र का विस्तार करना, भूजल स्तर में सुधार लाना, और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखना है। इस महत्वाकांक्षी योजना से दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर-पश्चिम भारत में पर्यावरण संरक्षण को नया आयाम मिलेगा।