नई दिल्ली : अक्सर नेपाल के किसी भी विपदा में उसके साथ खड़ा रहने वाला भारत, पिछले कई समयों से नेपाल की चालाकी का शिकार हो रहा है। वहीं नेपाल, भारत की आंख में धूल झोंककर दक्षिण एशियाई शुल्क मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) का गलत फायदा उठा रहा है और इसका दुरूपयोग कर रहा है। खबर आई है कि नेपाल और बांग्लादेश के व्यापारी बाहर से सस्ते सोयाबीन (Souabean Oil) और पाम ऑयल (Palm Oil) मंगा कर उसे जीरो ड्यूटी (Zero Duty) पर भारत भेज रहे हैं। इससे भारतीय कारोबारियों का भाड़ी नुकसान हो रहा है जो कि शुल्क के साथ इन तेलों का आायात करते हैं। इससे भारत सारकार को भी हर साल करीब 1,200 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
न तो सोयाबीन की खेती और न पाम की
तिलहन और तेल मिलों की शीर्ष संस्था सेंट्रल आर्गनाइजेशन फोर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (COOIT) के अध्यक्ष सुरेश नागपाल बताते हैं कि इस मामले में नेपाल और बंगलादेश नियमों की धज्जी उड़ा रहे हैं। भारत सरकार ने इन्हें जीरों ड्यूटी पर जो निर्यात (Export on Zero Duty) की छूट दी है, वह वहां की बनी चीजों पर है। ऐसा नहीं कि वे देश कहीं और से आयात कर उसे जीरो ड्यूटी पर भारत भेज दें। पाम ऑयल और सोयाबीन तेल के मामले में यही हो रहा है। नेपाल और बंगलादेश में न तो सोयाबीन की खेती होती है और न ही पाम की। ये देश पाम ऑयल मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों से मंगाते हैं जबकि सोयाबीन तेल ब्राजील और अर्जेंटीना से।
उत्पाद उत्पत्ति स्थल नियमों का उल्लंघन
संगठन का कहना है कि नेपाल और बंगलादेश उत्पाद उत्पत्ति स्थल नियमों (Rule of Origin Country) का उल्लंघन कर रहे हैं। इससे भारत सरकार और भारतीय कारोबारियों को नुकसान पहुंचता है। यदि कोई भारतीय कारोबारी क्रूड पाम ऑयल का आयात करता है तो उसे हर लीटर पर 32 रुपये का शुल्क चुकाना होता है। इसी तरह हर लीटर क्रूड सोयाबीन तेल पर 41 रुपये का शुल्क और सेस चुकाना होता है। नेपाल के रास्ते जो तेल आते हैं, उस पर शून्य ड्यूटी मिलती है। अनुमान है कि इससे राजकोष को हर साल करीब 1,200 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।
वित्त मंत्रालय से की है शिकायत
नागपाल का कहना है उन्होंने इस बारे में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय, केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और वित्त मंत्रालय से शिकायत की है। आखिर यह कर चोरी का मामला तो है ही, यह अंतरराष्ट्रीय संधि के दुरूपयोग का भी मामला बनता है।
नेपाल से कितना तेल आ रहा है
नेपाल ने जुलाई 2020 और अप्रैल 2021 के बीच भारत को 2,15,000 टन कच्चे सोयाबीन तेल और 3,000 टन कच्चे पाम तेल का निर्यात किया है। वर्तमान आयात शुल्क पर, उपकर सहित, नेपाल के माध्यम से आयात होने को विनियमित नहीं किया जाता है तो सरकार को 1,200 करोड़ रुपये के वार्षिक राजस्व का नुकसान हो सकता है।
तेल के मामलों में आत्मनिर्भर नहीं है भारत
आपको बता दें कि भारत अपनी आवश्यकता का करीब 70 प्रतिशत खाद्य तेल (Edible Oil) आयात करता है। इसकी वजह यहां तिलहनी फसलों की कम पैदावार है। इसका कारण फसलों की कीमत सहीं न होना और किसानों की आर्थिक स्थिति है। बता दें कि आयातित तेलों में भी करीब 60 फीसदी हिस्सेदारी पाम ऑयल की होती है। यह सबसे सस्ता तेल होता है, इसलिए होटल रेस्टोरेंट से लेकर भुजिया नमकीन और औद्योगिक उपयोग में इसी का इस्तेमाल होता है।