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कोरोना से होने वाली मौतों के मामले में कारगर है वैक्सीन, अगर लगी हैं दोनों डोज, तो कोरोना होने पर…

By: Amit ranjan 
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कोरोना से होने वाली मौतों के मामले में कारगर है वैक्सीन, अगर लगी हैं दोनों डोज, तो कोरोना होने पर…

नई दिल्ली : कोरोना महामारी के बीच लगातार देश के कई हिस्सों से कोरोना वैक्सीन की कमी होने की खबर आ रही है। हालांकि खबरों की मानें तो जल्द ही वैक्सीन की आपूर्ती की जायेगी। इसी बीच एक बार फिर विशेषज्ञों द्वारा कोरोना महामारी के तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। वैसे भी इस वक्त जो माहौल चल रहा है, उसे देखते हुए सभी को वैक्सीन लगवाना चाहिए। इससे कोरोना से होने वाली मौतों को रोकने में मदद मिल रही है। यह बात हाल ही में आईसीएमआर द्वारा फ्रंटलाइन वर्कर्स पर स्टडी में सामने आया है।

ICMR के रिपोर्ट के अनुसार

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के डायरेक्टर जनरल डॉ. बलराम भार्गव का कहना है कि हाल ही में देशभर में फ्रंटलाइन वर्कर्स पर एक स्टडी की गई है। इसमें एक लाख से ज्यादा फ्रंटलाइन वर्कर्स को शामिल किया गया था। इसमें पाया गया है कि वैक्सीन की दोनों डोज कोरोना से होने वाली मौतों के खिलाफ 95 प्रतिशत तक सुरक्षा देती है। वहीं इसकी सिंगल डोज 82 प्रतिशत तक मौतों को रोक सकती है।

डॉ. भार्गव का कहना है कि इस स्टडी में यह पाया गया है कि अगर व्यक्ति को वैक्सीन की दोनों डोज लगी हो और उसमें कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़े को देखा जाए तो एक लाख में से केवल 6 मौतें ही दोनों डोज के बाद हो सकती हैं। वहीं सिंगल डोज के बाद एक लाख में से 21 लोगों की ही जान जा सकती है।

वैक्सीन का मकसद कोरोना से होने वाली गंभीरता और मौतों को रोकना

इस स्टडी से साफ जाहिर होता है कि जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं ली है, उनमें मौतों का आंकड़ा बेहद ज्यादा है। ऐसे में जरूरी है कि जल्द से जल्द वैक्सीन लें। डॉ. भार्गव का कहना है कि हमारी स्टडी में यह भी पाया गया है कि इस वक्त जो वैक्सीन हम देश में लगा रहे हैं, वह अल्फा, डेल्टा जैसे वैरियंट पर कारगर है और लोगों को अच्छी सुरक्षा मिलती है। कोविशील्ड, कोवैक्सीन में से कोई भी वैक्सीन लगवा सकते हैं। वैक्सीन का मकसद कोरोना से होने वाली गंभीरता और मौतों को रोकना है।

तीसरी लहर में बच्चों को लेकर है कुछ चिंता

वैसे तो आईसीएमआर का कहना है कि तीसरी वेव में बच्चों के ज्यादा संक्रमित होने का कोई प्रमाण नहीं मिलता है, इसलिए फिलहाल यह कहना गलत होगा कि बच्चों पर अब ज्यादा खतरा है। हालांकि इसके बावजूद बच्चों की वैक्सीन जल्द से जल्द लाने की तैयारी की जा रही है। कोवैक्सीन का बच्चों पर ट्रायल चल रहा है और उम्मीद है कि सितंबर तक इसे लेकर एक अच्छी खबर सुनने को मिलेगी। इस बीच और भी वैक्सीन हैं जिन्होंने इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए अप्लाई किया हुआ है। शायद अगले कुछ दिनों में उन्हें भी मंजूरी मिल जाए। यह वैक्सीन भी बच्चों को लगाई जा सकती हैं।

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