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Uttrakhand News: धर्मनगरी में 53वें पार्थिव शिवलिंग पूजन कार्यक्रम में 11हजार शिवलिंग हुए स्थापित

धर्मनगरी हरिद्वार में 53वां पार्थिव शिवलिंग पूजन कार्यक्रम संपन्न होने जा रहा है । इस कार्यक्रम में 11 हजार पार्थिव शिवलिंगों की पूजा की गई। कई अन्य राज्य जैसे- हरियाणा, पंजाब, राज्यस्थान और उत्तरप्रदेश के विभिन्न लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए है।

By: Priya Tomar 
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Uttrakhand News: धर्मनगरी में 53वें पार्थिव शिवलिंग पूजन कार्यक्रम में 11हजार शिवलिंग हुए स्थापित

Uttrakhand News: धर्मनगरी हरिद्वार में 53वां पार्थिव शिवलिंग पूजन कार्यक्रम संपन्न होने जा रहा है । इस कार्यक्रम में 11 हजार पार्थिव शिवलिंगों की पूजा की गई। कई अन्य राज्य जैसे- हरियाणा, पंजाब, राज्यस्थान और उत्तरप्रदेश के विभिन्न लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए है।

हिन्दु धार्मिक मान्यताओं  के अनुसार स्वर्ग में शंकर भगवान के ‘सिर’ की, पृथ्वीलोक पर ‘शिव-लिंग’ की तथा पाताल में उनके ‘पैरों’ की पूजा का विधान है।इस कारण भक्त शिवलिंगों की स्थापना करते है ।

हरिद्वार समिति भवन में होगा कार्यक्रम

आपको बता दें कि हरिद्वार स्थित सेवा समिति भवन में कार्यक्रम का पूजन किया गया, इसमें कथा व्यास रामजी पांडेय ने कहा कि 53 वर्षों से इतनी बड़ी संख्या में भक्त कभी अपनी अर्जी लगाने धाम मे नही आए परन्तु अब,लाखों की संख्या में लोग आकर अपनी हाजरी लगा रहे है।

भगवान शिव के प्रति आस्था लोगों में हमे नजर आ रही है। इस कार्यक्रम के दौरान निर्विघ्न शिव पूजन संपन्न हो रहा है, और यह दुर्लभ संत टाट वाले बाबा की कृपा से हो रहा है।

व्यास ने बताई पार्थिव शिव की महिमा

दरअसल, कथा व्यास का कहना है कि अनादि काल से महाकाल की पूजा हो रही है। भगवान शंकर हम सभी के अराध्य है और हमें उनकी सदा वंदना करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एक बार कागभूसुंडी कालों के काल महाकाल भगवान शंकर की विधिपूर्वक पूजा कर रहे थे।

इतने में सतगुरु आ गए उन्होंने पूजा छोड़कर प्रणाम नहीं किया। इससे भगवान शिव प्रसन्न होने की जगह नाराज हो गए।

इतने में क्रोधित होकर उन्होंने श्राप दे दिया कि हे अजगर की भांति जैसे तू बैठा है ,तुझे धिक्कार है तूने अपने अहंकार मे चूर होकर गुरु को प्रणाम नहीं किया तो अब तुम्हें अजगर योनि में ही रहना होगा। उनके श्राप से उन्होंने यह सिद्ध किया कि गुरु की महिमा अपरंपार होती है।

This post is written by PRIYA TOMAR 

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