महाकुंभ 2025 में अब तक 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद किसी भी तरह की महामारी या संक्रामक बीमारी फैलने की कोई खबर नहीं है। केंद्रीय विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस अनूठी सफलता का श्रेय परमाणु तकनीक आधारित सीवेज उपचार संयंत्रों को दिया है।
महाकुंभ स्थल पर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई और इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र, कलपक्कम द्वारा विकसित हाइब्रिड ग्रैन्युलर सीक्वेंसिंग बैच रिएक्टर (hgSBR) तकनीक पर आधारित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं। ये संयंत्र सूक्ष्मजीवों की मदद से गंदे पानी को शुद्ध करते हैं और प्रति दिन 1.5 लाख लीटर सीवेज का उपचार करने की क्षमता रखते हैं।
कम लागत, ज्यादा स्वच्छता
इस अत्याधुनिक तकनीक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें कम जमीन, न्यूनतम बुनियादी ढांचा और 30-60% तक कम परिचालन लागत लगती है। इससे न केवल गंगा नदी स्वच्छ बनी हुई है, बल्कि महामेला क्षेत्र में स्वच्छता और स्वास्थ्य सुरक्षा भी सुनिश्चित हो रही है।
UP सरकार ने किए बड़े प्रबंध
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बार महाकुंभ स्थल पर 1.5 लाख शौचालयों का निर्माण करवाया है, जिससे खुले में शौच जैसी समस्याओं पर पूरी तरह से रोक लगी है। इसके अलावा, 11 स्थायी और 3 अस्थायी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं, जो गंदे पानी को शुद्ध करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
सुरक्षित और ऐतिहासिक होगा यह महाकुंभ
महाकुंभ में हर बार खुले में शौच, गंदे पानी और अव्यवस्थित व्यवस्थाओं के कारण हैजा, डायरिया जैसी बीमारियों का खतरा रहता था, लेकिन इस बार परमाणु तकनीक और आधुनिक सीवेज प्रबंधन की मदद से यह कुंभ मेला स्वच्छता का नया उदाहरण पेश कर रहा है।
इस ऐतिहासिक आयोजन को सफल बनाने के लिए स्वच्छता मशीनों, जल आपूर्ति संयंत्रों और आधुनिक तकनीकों का भी सहारा लिया गया है, जिससे श्रद्धालु बिना किसी स्वास्थ्य जोखिम के संगम में पुण्य स्नान कर सकें।