कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य गुनहगार एक महीना पहले एनकाउंटर में मारा जा चुका है, उसके साथियों की तलाश में पुलिस अभी छापेमारी कर रही है। देर रात चौबेपुर पुलिस ने एक बार फिर बिकरू गांव में जाकर पूछताछ की। इसके अलावा पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने जेल में बंद उसके गुर्गे राम सिंह यादव से जेल में जाकर पूछताछ कर उसके बयानों की रिकार्डिंग की है। पूछताछ में उसने पुलिस को बहुत सी अहम जानकारियां देने के अलावा शहर के कई लोगों के नाम भी बताए हैं।
राम सिंह ने पुलिस औस एटीएफ टीम को बताया कि बिकरू और आसपास के गांव में लगभग 200 लोग ऐसे हैं जो विकास के कहने पर कुछ भी कर सकते थे। उसने यह भी बताया कि बिकरू कांड में लगभग 50 असलहों का इस्तेमाल हुआ था जो विकास ने पांच घंटे के अंतराल में इकट्ठा करा लिए थे।
बड़े भी देते थे उसका साथ
राम सिंह ने टीम को शहर के कुछ बड़ों के बारे में भी जानकारी दी है। जिसमें बड़े फैक्ट्री मालिक और राजनेता शामिल है। यह सभी विकास दुबे के सम्पर्क में थे। उसने पुलिस को यह भी बताया कि एक राजनीतिक दल के बड़े नेता ने विकास को सार्वजनिक तौर पर अपना बड़ा बेटा कह दिया था।
बयान मिले अब दस्तावेजी साक्ष्य जुटाए जाएंगे
एसटीएफ सूत्रों ने बताया कि राम सिंह यादव के बयान से बहुत सारे तथ्यों के बारे में जानकारी हो गई है। अब उन तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए दस्तावेजों के आधार पर सबूत इकट्ठा करने में लगी है। इस मामले में आगे और भी बहुत बड़े खुलासे होंगे।
बिकरू के सात शस्त्र लाइसेंसियों को डीएम का नोटिस
विकास के सहयोगियों के शस्त्र लाइसेंस की जांच जारी है। गांव के सभी शस्त्र लाइसेंसी फरार हैं, जो पकड़े गए उनके शस्त्र नहीं मिल रहे हैं। सोमवार को शस्त्रधारकों के परिजनों को पुलिस ने डीएम का नोटिस रिसीव करा दिया। इसमें मंगलवार को डीएम कोर्ट में जवाब देना है। बिकरू की घटना में नामजद विकास दुबे के भांजे शिवम तिवारी के नाम से रायफल व पिस्टल का लाइसेंस है। पुलिस ने शिवली पहुंचकर पिता दिनेश तिवारी को नोटिस रिसीव कराई। गिरफ्तार किए गए रामसिंह की दोनाली बन्दूक का पता नहीं चला है। उसके परिवार के बाबूसिंह के नाम रायफल व सुरजन के नाम पिस्टल है। यह सभी फरार हैं। कजंती के अखिलेश की रायफल है। अखिलेश भी फरार है। मुठभेड़ में पकड़े गए दया शंकर अग्निहोत्री की बन्दूक अभी तक नहीं मिली है।