उज्जैन में आज यानी सोमवार को भगवान महाकालेश्वर की दो विशेष सवारियां निकाली जाएंगी। यह अद्भुत संयोग इसलिए बना है क्योंकि इस बार कार्तिक माह की दूसरी सवारी और वैकुंठ चतुर्दशी एक ही दिन पड़ रही है। मंदिर प्रशासन के अनुसार, रविवार आधी रात बाद चतुर्थी तिथि प्रारंभ हो जाएगी।
पहली सवारी शाम 4 बजे निकलेगी, जिसमें भगवान महाकालेश्वर श्री चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में रजत पालकी में विराजमान होकर नगर भ्रमण करेंगे। पूजन और आरती के उपरांत पालकी को राजसी ठाठ के साथ मंदिर से निकाला जाएगा। पुलिस बल भगवान को सलामी देगा और सवारी में बैंड, घुड़सवार तथा झांकी दल शामिल रहेंगे। यह सवारी लगभग शाम 7 बजे पुनः महाकाल मंदिर लौट आएगी।
महाकाल मंदिर से निकलने के बाद यात्रा गुदरी चौराहा, बख्शी बाजार, कहारवाड़ी होकर रामघाट पहुंचेगी। वहां मां क्षिप्रा के जल से पूजन किया जाएगा। इसके पश्चात यह गणगौर दरवाजा, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी चौराहा मार्ग से वापस मंदिर पहुंचेगी।
दूसरी सवारी रात 11 बजे निकाली जाएगी। वैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर यह प्रतीकात्मक यात्रा भगवान शिव और भगवान विष्णु के हरिहर मिलन का प्रतीक होगी, जिसमें भगवान महाकाल सृष्टि का भार भगवान विष्णु को सौंपेंगे।
यह सवारी महाकाल मंदिर से प्रारंभ होकर गुदरी चौराहा, पटनी बाजार होते हुए द्वारकाधीश गोपाल मंदिर पहुंचेगी। हरिहर मिलन के इस अवसर पर रुद्राक्ष और बिल्वपत्र से पूजा-अर्चना की जाएगी। प्रशासन ने इस बार आतिशबाजी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है।
मंदिर प्रबंध समिति के अनुसार, कार्तिक और अगहन (मार्गशीर्ष) माह की दो और सवारियां शेष हैं। अगली यानी तीसरी सवारी 10 नवंबर को और चौथी सवारी 17 नवंबर 2025 को निकाली जाएगी।