रिपोर्ट: नंदनी तोदी
वाराणसी: दुनिया में 14 फरवरी प्रेम दिवस यानी Valentine’s Day के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सभी प्रेमी जोड़े अपने प्रेम का इज़हार कर अपने रिश्ते को एक नया नाम देते हैं। लेकिन वाराणसी में इस दिन को एक अलग अंदाज़ में मनाया जाता है।
दरअसल, वाराणसी में आशिक माशूक की मजार मशहूर है। प्रेमी जोड़े यहां आकर मन्नत मांगते हैं और अपनी मुराद पूरी होने पर दोबारा यहां आकर हाजिरी लगाते हैं।
चलिए आपको बताते हैं आशिक़ मशहूर की कहानी:
ये कहानी लगभग चार सौ वर्ष पुरानी है। ईरान का एक सौदागर अक्सर काशी अपने बेटे के साथ काम को लेकर आता था। इसी बीच उसके बेटे यूसुफ को काशी की रहने वाली मरियम से प्रेम हो गया था। लेकिन दुनिया की सोच के चलते मरियम के परिवार वालो ने मरियम को गंगा के उस पार रामनगर उसके रिश्तेदार के यहां भेज दिया, जिसके बाद यूसुफ मरियम की सहेली के साथ उससे मिलने वहां जाता था।
सहेली के कुछ मज़ाक के बाद युसूफ ने गंगा में छलांग लगा दी जिसके बाद मरियम भी गंगा में कूद गई। कुछ वक्त के उनके शव मिलने के बाद उनके पास से एक खत मिला जिसमे लिखा था इन्हें इसी जगह दफनाया जाए।
तभी से लोग युसूफ और मरियम की मजार पर आकर अपने प्यार का इज़हार कर मन्नत मांगते और पूरी हो जाने पर दुबारा हाजिरी लगाते हैं। आपको बता दें, ये पूरी कहानी का जिक्र काशी की प्रसिद्ध पुस्तक आसार-ए-बनारस में भी है।
बता दें, दोनों को शहर के औरंगाबाद इलाके में दफनाया गया था। जिसे अब आशिक-माशूक का मकबरा कहा जाता है। आपको बता दें इसमें बड़ी मजार युसूफ और छोटी मरियम की है।