नई दिल्ली : देश में लगातार बढ़ते कोरोना केस के बीच ऐसे कई खबरें सामने आ रहे है जिसमें ये कहा जा रह है कि आप इस देशी नुस्खें को अपनाने से कोरोना महामारी से सुरक्षित रह सकते है। कोरोना आप पर अटैक नहीं कर सकता है। लेकिन WHO ने इस देशी नुस्खें को लेकर एक अलर्ट जारी किया है और कहा है कि इसके कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है। बशर्ते यह नुस्खा आपके स्वास्थ और जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
हम यहां बात कर रहें है स्टीम इनहेलेशन यानी की भाप की, जिसे लेकर लोगों का कहना है कि इसके इस्तेमाल से बहुत हद तक कोरोना को रोका जा सकता है। इसे लेकर ‘यूनिसेफ इंडिया’ ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो अपलोड किया है जिसमें एक्सपर्ट द्वारा दिया गया जवाब आपको हैरान कर देगा।
“Can inhaling water vapour lessen the impact of #COVID19?”
A question we’ve heard a lot this year.
The answer may surprise you.#Unite2FightCorona pic.twitter.com/EJtOLUXRKU
— UNICEF India (@UNICEFIndia) April 17, 2021
क्या वाकई स्टीम लेना कोरोना के प्रभाव को कम कर सकता है? यूनिसेफ साउथ एशिया के रीज़नल एडवाइजर एंड चाइल्ड हेल्थ एक्सपर्ट पॉल रटर ने इस वीडियो में बताया कि इसके कोई साक्ष्य मौजूद नहीं हैं कि स्टीम से कोविड-19 को खत्म कर सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कोरोना के इलाज के तौर पर स्टीम लेने का सुझाव नहीं देता है। बल्कि इसके उपयोग से गले और फेफड़े से बीच की नली में टार्किया और फैरिंक्स जल सकते हैं या गंभीर रूप से डैमेज हो सकते हैं।
आपको बता दें कि इस नली के डैमेज होने से इंसान को सांस लेने में दिक्कत ज्यादा होगी। इतना ही नहीं, वायरस बड़ी ही आसानी से आपके शरीर में दाखिल हो जायेगा। बता दें कि स्टीम लेने के दुष्परिणाम जाने बिना इसका इस्तेमाल करने वालों को सावधान करने के लिए यूनिसेफ इंडिया ने ये जानकारी साझा की है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक अन्य दावे में कहा जा रहा है कि, ‘गर्म पानी हमारे गले के लिए बेहतर है. लेकिन कोरोना वायरस नाक के पैरानसल साइनस में 3-4 दिन तक रहता है और गर्म पानी वहां तक नहीं पहुंचता है। 3-4 दिन के बाद वायरस हमारे फेफड़ों में दाखिल हो जाता है और सांस की तकलीफ बढ़ा देता है। कोरोना वायरस 3-4 चार दिन तक पैरानसल साइनल में छिपकर रहता है, इसे गर्म पानी पीकर खत्म नहीं किया जा सकता है लेकिन 40 डिग्री सेल्सियस पर गर्म पानी के स्टीम से खत्म किया जा सकता है इसलिए स्टीम लेना ज्यादा सही है जो हमारे पैरानसल साइनस तक पहुंचती है।’
एक्सपर्ट्स के अनुसार, ‘स्टीम को लेकर लोगों के मन में गलत तरह से एक असुरक्षा की भावना पैदा हो रही है, दूसरी तरफ ये इंसान के फेफड़ों की अंदरूनी लेयर्स को खराब कर सकता है। मनिपाल हॉस्पिटल्स में पल्मोनोलॉजी के एचओडी डॉ. सत्यनारायण मैसूर का कहना है कि लगातार एक हफ्ते तक स्टीम इनहेलेशन का सुझाव बेहद अनसाइंटिफिक है। उन्होंने ऐसे कई मरीज देखे थे जिन्हें कोविड-19 की बजाए स्टीम इनहेलेशन की वजह से ज्यादा दिक्कत हो रही थी। अनसाइंटिफिक तरीके से ली गई स्टीम इनहेलेशन हमारे गले से फेफड़ों के बीच का वायु मार्ग जला सकते हैं, जो कि कोविड से भी ज्यादा खतरनाक है।
सैंट जॉन मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल्स के एचओडी और प्रोफेसर डॉ. थॉमस मैथ्यू ने बताया कि कुछ लोग स्टीम लेते वक्त पानी में तरह-तरह के तेल, यूकालिप्टस ऑयल और दर्द में राहत देने वाले बाम का उपयोग करते हैं। ऐसा करना खतरनाक हो सकता है। ऐसा करना इंसान के मस्तिष्क के लिए हानिकारक हो सकता है। कोरोना की पिछली लहर में भी वे हर महीने ऐसे कम से कम दो मामले देख रहे थे।
डॉ. मैथ्यू ने कहा कि महामारी से बचने के लिए कई लोग ऐसे तरीके अपना रहे हैं जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। पूरी दुनिया में वायरलॉजिस्ट कोविड-19 से बचने का रास्ता खोज रह हैं। अगर वायरस को स्टीम इनहेलेशन से खत्म किया जा सकता तो दुनियाभर में इतनी मौतें कभी नहीं होती। फिलहाल मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन ही इस महामारी से लड़ाई के सबसे प्रमुख हथियार हैं।
डॉक्टर्स कहते हैं कि महामारी के दौर में ऐसी कई अफवाहें हैं जो इंसान को भ्रमित कर सकती हैं। इसलिए ऐसी किसी भी बात पर आंख बंद कर भरोसा करना सही नहीं है।