रिपोर्ट: सत्यम दुबे
प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में मंगलवार शाम से ही गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने लगा है। हाल ही में हरिद्वार, नरोरा और कानपुर बांधों से छोड़ा गया 3.50 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। जो अब यहां पहुंचने लगा है। जलस्तर बढ़ने का सबसे ज्यादा असर गंगा के फाफामऊ घाट पर दिखने लगा है। यहां प्रतिघंटा तीन सेटीमीटर की रफ्तार से जलस्तर बढ़ रहा है।
वहीं यमुना के जलस्तर में भी थोड़ी तेजी आई है। नदियों का जलस्तर बढऩे से तटीय क्षेत्रों में खतरा मंडराने लगा है। आपको बता दें कि इस बार गंगा-यमुना का जलस्तर समय से पहले ही बढऩे लगा है। जिसका मुख्य कारण लगातार पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बारिश है। ज्यादा बारिश होने के कारण हरिद्वार, नरोरा के साथ ही कानपुर बांधों से पानी छोडऩे का सिलसिला भी जारी है।
तीन दिन पहले हरिद्वार से 1 लाख 423 क्यूसेक, नरोरा बांध से 2.30 लाख 807 क्यूसेक और कानपुर बांधों से 15 हजार 651 क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ा गया था। मंगलवार शाम से यह पानी यहां पहुंचने लगा है। सिंचाई बाढ़ नियंत्रण कक्ष की मानें तो मंगलवार शाम चार बजे तक फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 76.78, छतनाग में 71.50 मीटर और नैनी में यमुना नदी का जलस्तर 72.32 मीटर दर्ज किया गया था।
जिसके बाद रात आठ बजे आंकड़ों में तेजी से बदलाव हुआ। फाफामऊ में 76.89, छतनाग में 71.59 और नैनी में 72.38 मीटर जलस्तर दर्ज किया गया। इन आंकड़ों को देखा जाए तो फाफामऊ में प्रतिघंटा तीन सेमी की रफ्तार से पानी बढ़ रहा है। लगातार बढ़ रहा पानी तटीय इलाके में रहने वाले लोगों को डरा रहा है।
गंगा-यमुना के जलस्तर में बढ़ोत्तरी के कारण रामघाट, फाफामऊ, सलोरी की तरफ कटान का दायरा भी धीरे-धीरे बढऩे लगा है, जो आने वाले दिनों में बड़ी मुसीबत बन सकता है। इसे लेकर लोग काफी परेशान हैं। परेशानी का मुख्य कारण यह है कि कटान की वजह से पानी तेजी से आबादी की तरफ बढ़ेगा।