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साल 2003 वर्ल्ड कप का फाइनल, जिसकी हार का जख्म भारत आज भी भुला नहीं पाया

By: RNI Hindi Desk 
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साल 2003 वर्ल्ड कप का फाइनल, जिसकी हार का जख्म भारत आज भी भुला नहीं पाया

पहली बार अफ्रीकी धरती पर 9 फरवरी से 23 मार्च तक आठवें विश्व कप का आयोजन किया गया। आज ही के दिन ठीक 17 साल पहले उस विश्व कप के फाइनल में भारतीय टीम को फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों 125 रन की शर्मनाक हार मिली। भारतीय टीम के कप्तान सौरव गांगुली के साथ-साथ वॉन्डर्स के मैदान पर समूचे हिंदुस्तान टीम इंडिया की जीत की उम्मीद थी। तो वहीं भारत को हराकर ऑस्ट्रेलियाई टीम ने लगातार दूसरी और कुल तीसरी बार चैंपियन बनी।

लेकिन इस हार को सौरव गांगुली आज तक नहीं भुला पाए है। शायद गांगुली की एक छोटी सी गलती के कारण टीम इंडिया इस मैच को हार गई थी। बता दे, इस पूरे टूर्नामेंट के दौरान भारतीय टीम का प्रदर्शन शानदार रहा था।

दरअसल इस मुकाबले में जब सौरव गांगुली मैदान पर टॉस के लिए उतरे तो मैदान पर बैठे दर्शक भारत के टॉस जीतने की कामना करने लगे और टीम इंडिया ने टॉस जीत भी लिया। सबको लग रहा था कि गांगुली पहले बल्लेबाजी का फैसला करेंगे, लेकिन सौरव ने सबको चौंकाते हुए पहले गेंदबाजी का फैसला किया, लेकिन आज भी सौरव अपने इस फैसले को टीम की हार प्रमुख कारण बताते है।

बता दे, इस फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए कप्तान रिकी पोंटिंग 140 और डेमियन मार्टिन 88 रनों की पारी के दम पर 2 विकेट पर 359 रन बनाए। भारत की तरफ से गेंदबाजी में जहीर खान, जवागल श्रीनाथ, आशीष नेहरा, हरभजन सिंह की जमकर पिटाई हुई। ऑस्ट्रेलिया से मिले 360 रनों के जवाब में भारत 39.2 ओवर में 234 रन ही बना पाया। वीरेंद्र सहवाग ने सर्वाधक 82 और राहुल द्रविड़ ने 47 रन बनाए।

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