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सौरव गांगुली जैसे बल्लेबाज के सामने अपनी गेंदबाजी का दम दिखाने वाले गेंदबाज को बेचनी पड़ रही है चाय, सुनाई अपनी पीड़ा

By: Amit ranjan 
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सौरव गांगुली जैसे बल्लेबाज के सामने अपनी गेंदबाजी का दम दिखाने वाले गेंदबाज को बेचनी पड़ रही है चाय, सुनाई अपनी पीड़ा

नई दिल्ली : अक्सर आपने लोगों को कहते हुए सुना होगा कि अगर आपको क्रिकेट जगत, बॉलीवुड जगत, मीडिया जगत, राजनीति जगत या अन्य कई क्षेत्रों में कामयाब होना है तो आपके पास गॉड फादर का होना बहुत जरूरी है। क्योंकि बिना गॉड फादर आप कामयाबी के बुलंदियों को नहीं छू सकते। और अगर आप खुद अपने दम पर आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं तो आपको बढ़ने नहीं दिया जाता। और अगर आपके सामने कोई समस्या आ जाएं तो कोई आपका हाल भी नहीं पूछने आता है। ऐसा ही कुछ रणजी के इस गेंदबाज के साथ हुआ।

दरअसल रणजी के इस गेंदबाज के पास काबिलियत तो थी, लेकिन पिता के निधन के बाद उसे खेल बीच में ही छोड़ना पड़ा। पिता और बड़े भाई चाट बेचते थे और पिता की मौत के बाद बड़े भाई की भी तबीयत खराब हो गई। इसके बाद इस गेंदबाज को चाय बेचकर अपने परिवार को चलाना पड़ा, लेकिन कोरोना महामारी के कारण अब दो जून की रोटी भी बहुत मुश्किल से जुट रही है।

हम बात कर रहे है असम की तरफ से रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) खेलने वाले प्रकाश भगत की, जो (prakash bhagat) अब इसी मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं।

2009- 2010 में असम की तरफ से रणजी ट्रॉफी खेलने वाले प्रकाश ने 2003 में राष्‍ट्रीय क्रिकेट एकेडमी में ट्रेनिंग ली थी। उस दौरान उन्‍होंने सौरव गांगुली को गेंदबाजी की थी। उसी दौरान उन्‍हें सचिन तेंदुलकर, जहीर खान, हरभजन सिंह, वीरेंद्र सहवाग से भी मिलने का मौका मिला था।

पिता के निधन के बाद छोड़ दिया क्रिकेट

बाराकबुलेटिन डॉट कॉम से बात करते हुए प्रकाश ने कहा कि 2011 में पिता के निधन के बाद उन्‍हें क्रिकेट छोड़ना पड़ा था। पिता और बड़े भाई चाट बेचते थे और पिता की मौत के बाद बड़े भाई की भी तबीयत खराब हो गई।

प्रकाश ने आगे कहा कि कोरोना वायरस के कारण उनके काम पर भी असर पड़ा। वो अब चाय बेचने को मजबूर हैं। उन्‍होंने कहा कि हमारा गुजारा हमेशा से ही मुश्किल से होता था, मगर अब हालात और अधिक बिगड़ गए हैं। चाय की दुकान से जितना पैसा आता है, वो दो वक्‍त की रोटी के लिए भी कम पड़ जाते हैं। उन्‍होंने कहा कि उनकी टीम के साथियों की सरकारी नौकरी लग गई है और उनका परिवार हर दिन मुश्किल में काट रहा है।

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