सौरव गांगुली का अंतरराष्ट्रीय करियर शानदार रहा है। टेस्ट में 7212 और वनडे में 11363 रन बनाने वाले सौरव गांगुली को सबसे सफल कप्तान भी माना जाता है। 2003 के वर्ल्ड कप में फाइनल तक पहुंचने वाले, 2002 में नेटवेस्ट ट्रॉफी जीतने वाले, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्हीं के मैदानों पर सीरीज ड्रॉ खेलने वाले और पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज जीतने वाले सौरव गांगुली हालांकि 2008 में शुरु हुई इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में अपनी सफलता को दोहरा नहीं पाए।
कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के दिग्गज खिलाड़ी ने 2008-10 में केकेआर का नेतृत्व किया। उन्होंने 25.45 की औसत और 106.80 की स्ट्राइक रेट से 1349रन बनाए। हाल ही में केकेआर के पूर्व कोच जॉन बुकानन ने गांगुली के टी-20 खिलाड़ी और कप्तान के रूप में खुलकर बात की। गांगुली और बुकानन के रिश्ते कभी बहुत अच्छे नहीं रहे, क्योंकि दोनों मिलकर केकेआर का भाग्य नहीं बदल पाए। साथ ही बुकानन की मल्टी कैप्टेंसी की थ्योरी ने दोनों के रिश्तों को खराब किया।
स्पोर्ट्स स्टार पर दिए एक इंटरव्यू में जॉन बुकानन ने कहा, ”उस समय मेरी सोच यही था कि कप्तान के रूप में आपको जल्दी फैसले लेने चाहिए। यही फैसले टी-20 को सूट करते हैं। इस पर मेरी गांगुली से खूब बातचीत हुई। मुझे उस समय यही लगता था कि गांगुली टी-20 कप्तान और खिलाड़ी के लिए उपयुक्त नहीं हैं।”
जॉन बुकानन 2000 के शुरू में ऑस्ट्रेलिया के भी कोच थे। उस समय टीम का दबदबा था। मल्टी कैप्टेंसी की थ्योरी पर बुकानन ने कहा, ”मुझे लगता है कि एक व्यक्ति के लिए सारे खिलाड़ियों को समझना मुश्किल होता है। मैं चाहता था कि हर खिलाड़ी के भीतर के कप्तान को मौका दिया जाए।”
उन्होंने कहा, ”आजकल सभी गेंदबाज अपनी हर गेंद के इंचार्ज होते हैं। सभी गेंदबाज कप्तान की सलाह के बिना अपने निर्णय लेते हैं। वे कोच और कप्तान से इनपुट नहीं लेते। मुझे लगता है कि यहीं टीमों की ताकत छिपी है।”