रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने हॉकी Hockey को आधिकारिक रुप से राष्ट्रीय खेल घोषित किए जाने और एथलेटिक्स जैसे खेलों को बढ़ावा और फंड के उचित आवंटन की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका दाखिल करने वाले वकील से कहा, आपका उद्देश्य अच्छा हो सकता है, लेकिन हम इस मामले में कुछ नहीं कर सकते और न ही ऐसा आदेश दे सकते हैं।
याचिका पर सुनवाई के इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा, आप चाहें तो सरकार को ज्ञापन दे सकते हैं। न्यायमूर्ति यूयू ललित ने कहा, लोगों के भीतर एक अभियान चलाया जाना चाहिए। मैरी कॉम जैसी खिलाड़ी विपरीत हालातों से जूझते हुए ऊपर उठीं, इसमें अदालत कुछ नहीं कर सकती। हमारी सहानुभूति है, लेकिन हम मदद नहीं कर सकते।
आपको बता दें कि वकील विशाल तिवारी ने एक याचिका के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट से खेल उद्योग के लिए आवंटित धन की सार्वजनिक जवाबदेही शुरू करने और खेलों के उचित प्रसारण के साथ अधिक से अधिक प्रचार गतिविधियों को करने के लिए निर्देश देने की मांग की थी। इसके साथ ही इस जनहित याचिका में हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल घोषित करने की भी मांग की थी।
इस याचिका में कहा गया था कि एक धारणा है कि हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल या खेल है, लेकिन इसे अभी तक सरकार की ओर से आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं दी गई है। इसके साथ ही इसमें स्कूल और कॉलेज स्तर पर ओलंपिक के एथलेटिक्स खेलों को बढ़ावा देने और स्कूलों और कॉलेजों में खेल कार्यक्रम को संचालित करने के लिए एक विशेष समिति के गठन के निर्देश मांगे गए थे।