पिछले लोकसभा चुनाव हारने के बाद से ही कांग्रेस में कलह जारी है। इसी बीच हाल ही में संपन्न हुए बिहार विधानसभा चुनाव भी कांग्रेस हार चुकी है जिसके बाद से ही लगातार पार्टी की आलोचना हो रही है।
70 सीट मिलने के बाद भी कांग्रेस सिर्फ 19 सीट ही जीत पाई है। कल ही आरजेडी के नेता ने कांग्रेस और राहुल गाँधी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि राहुल गाँधी बिहार चुनाव में काम करने की बजाय पिकनिक मना रहे थे।
अब कांग्रेस के अंदर से भी सवाल उठ रहे है। ताजा मामला वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल का है। दरअसल उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पार्टी नेतृत्व ने शायद हर चुनाव में पराजय को ही अपनी नियति मान ली है। उन्होंने कहा कि बिहार ही नहीं, उपचुनावों के नतीजों से भी ऐसा लग रहा है कि देश के लोग कांग्रेस पार्टी को प्रभावी विकल्प नहीं मान रहे हैं।
There was no need for Mr Kapil Sibal to mentioned our internal issue in Media, this has hurt the sentiments of party workers across the country.
1/— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 16, 2020
कपिल सिब्बल के बयान के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे और तमिलनाडु में शिवगंगा से लोकसभा सांसद कार्ति चिदंबरम ने उनका समर्थन किया और उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए यह आत्मविश्लेषण, चिंतन का समय है।
Congress has seen various crises including 1969, 1977, 1989 and later in the 1996 – but every-time we came out stronger due to our ideology, programs, policies and firm belief in party leadership.
2/— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 16, 2020
इसी बीच राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने पार्टी का बचाव करते हुए कपिल सिब्बल को सलाह दे डाली। उन्होंने कहा, कपिल सिब्बल को पार्टी के अंदरूनी मामले के बारे में मीडिया में जिक्र करने की जरूरत नहीं थी. उनके बयान से पार्टी कार्यकर्ताओं को ठेस पहुंची है।
गहलोत ने कहा, 1969, 1977, 1989 और 1996 में भी कांग्रेस ने संकट देखा, हर बार पार्टी की नीतियों और आदर्श से हम फिर उठकर बाहर आए। उन्होंने कहा कि इस बार हार के कई कारण हैं. लेकिन हर बार की तरह हम ऐसे संकट से और मजबूत होकर निकलते रहे हैं।