रिपोर्ट: सत्यम दुबे
वाराणसी: IIT BHU तकनीक के क्षेत्र में अपना परचम लहराता रहा है, इसी कड़ी में शोधकर्ताओं ने एक और बड़ी उपलब्धि हांसिल की है। आईआईटी बीएचयू के शोधकर्ताओं ने हाइड्रोजन से बिजली बनाने की दिशा में बड़ी सफलता हासिल की है। शोधकर्ताँओं ने मेथनॉल से अल्ट्रा-शुद्ध हाइड्रोजन उत्पादन के लिए मेंबरेन रिफॉर्मर टेक्नॉलोजी पर आधारित एक वर्किंग मॉडल विकसित किया है, जिससे बिजली की बचत की जा सकेगी।
आपको बता दें कि शोधकर्ताओं के इस तकनीक से मोबाइल टावर में इस्तेमाल होने वाली डीजल की खपत में भी कमी आएगी। आईआईटी विभाग ने सफलतापूर्वक शोध उस वक्त किया जब, डीजल के दामों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। आपको बता दें कि डीजल के दामों में हो रही बढ़ोतरी से लोगों को राहत दिलाने के लिए शोधकर्ताओं ने हाइड्रोजन से बिजली बनाने की तकनीक विकसित की है।
आईआईटी बीएचू के शोधकर्ताओं ने पहली बार विकसित प्रोटोटाइप बनाया है। जो पूरी दुनिया के लिए इस तरह की तकनीक मिशाल बनी हुई है। आपको बता दें कि शोधकर्ताओं ने 13 लीटर हाइड्रोजन से एक किलोवाट बिजली बनाने में सफलता हासिल की है। इसके साथ ही आगे के दिनों में डीजल से चलने वाले जितने भी मोबाइल टावर लगाए गए हैं, उनके लिए भी बिजली बनाने का काम किया जा रहा है। कयास लगाया जा रहा है कि इस तकनीक के बाद आने वाले कुछ समय में डीजल के बढ़ते दामों से लोगों को राहत मिल सकेगी।
IIT BHU के शोधकर्ताओं ने पीएम मोदी के ‘नेशनल हाड्रोजन मिशन’ का सपना सच किया है। इसके साथ ही बिजली की बढ़ती हुई डिमांड को भी कम करने में सहायक साबित हो रहा है। इस सफलता पर IIT के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने कहा कि मेंबरेन रिफार्मर तकनीक पर बेस्ड प्रोटोटाइप यूनिट पीएम नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ और ’आत्मनिर्भर भारत’ की पहल को भी बढ़ावा देती है।