भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सिडनी में ऑस्ट्रेलियाई नौसेना बेस एचएमएएस कुट्टाबुल का दौरा किया और ऑस्ट्रेलिया के सहायक रक्षा मंत्री पीटर खलील के साथ द्विपक्षीय बैठक की। खलील ने राजनाथ सिंह की यह यात्रा ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि 12 साल में किसी भारतीय रक्षा मंत्री की यह पहली यात्रा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में इन यात्राओं की आवृत्ति और बढ़ेगी।
बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा साझेदारी, तकनीकी सहयोग और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता को मजबूत करने पर चर्चा की। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया अब केवल साझेदार नहीं हैं, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सह-निर्माता बन चुके हैं। उन्होंने 2024 में हुई शिखर बैठक और 2+2 वार्ता का हवाला देते हुए संबंधों के लगातार मजबूत होने पर जोर दिया।
राजनाथ सिंह ने भारतीय रक्षा उत्पादन और निर्यात के आंकड़े भी साझा किए। उन्होंने बताया कि भारत का रक्षा उत्पादन ₹1.51 लाख करोड़ तक पहुंच चुका है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 18% अधिक है। इसके साथ ही, भारत का रक्षा निर्यात ₹23,622 करोड़ तक बढ़ गया है और भारतीय कंपनियां अब करीब 100 देशों को अपने उत्पाद निर्यात कर रही हैं। उन्होंने विदेशी निवेश (FDI) नीति में सुधार का उल्लेख करते हुए कहा कि अब 74% तक विदेशी निवेश ऑटोमैटिक रूट से संभव है।
बैठक में दोनों देशों ने तकनीकी सहयोग को और आगे बढ़ाने पर सहमति जताई। राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और ऑस्ट्रेलियाई रक्षा विज्ञान समूह के सहयोग, क्वांटम टेक्नोलॉजी, AI, साइबर सुरक्षा और उन्नत तकनीकों में साझेदारी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों को भारतीय रक्षा उद्योग में सह-विकास और सह-निर्माण के लिए आमंत्रित किया।
पीटर खलील ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के साझा दृष्टिकोण, आर्थिक सहयोग और रक्षा अभ्यास ‘तावीज कृपाण’ में भारत की भागीदारी को सराहा। दोनों नेताओं ने आगे भी द्विपक्षीय सहयोग और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने का संकल्प दोहराया।