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रेलवे को भारी पड़ी अपनी लेटलतीफी की आदत, अब देना होगा जुर्माना, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला…

देश में अन्य खबरों के बीच ऐसे कई खबरें आती रहती हैं, जिसने सरकारों और सरकारी तंत्रों को कई बार सवालों के कटघरे में किया है। इसके बावजूद भी वे अपने आदत से बाज नहीं आते। ऐसी ही एक आदत की स्वीकार रेल मंत्रालय भी है, जिनकी ट्रेन बेहद मुश्किल ही समय पर पहुंच पाती है। ट्रेन की लेटलतीफी के कारण यात्रियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता। लेकिन अब यह परेशानी रेलवे को भारी पड़ गई और अब उसे अपनी आदत के कारण जुर्माना देना पड़ेगा।

By: Amit ranjan 
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रेलवे को भारी पड़ी अपनी लेटलतीफी की आदत, अब देना होगा जुर्माना, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला…

नई दिल्ली : देश में अन्य खबरों के बीच ऐसे कई खबरें आती रहती हैं, जिसने सरकारों और सरकारी तंत्रों को कई बार सवालों के कटघरे में किया है। इसके बावजूद भी वे अपने आदत से बाज नहीं आते। ऐसी ही एक आदत की स्वीकार रेल मंत्रालय भी है, जिनकी ट्रेन बेहद मुश्किल ही समय पर पहुंच पाती है। ट्रेन की लेटलतीफी के कारण यात्रियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता। लेकिन अब यह परेशानी रेलवे को भारी पड़ गई और अब उसे अपनी आदत के कारण जुर्माना देना पड़ेगा।

दरअसल, दो यात्रियों ने दिल्ली आने के लिए प्रयागराज एक्सप्रेस का टिकट लिया। ट्रेन लेट होने के कारण दोनों यात्री करीब पांच घंटे की देरी से दिल्ली पहुंचे। इस वजह से उनकी कोच्ची की फ्लाइट छूट गई। पैसेंजर ने रेलवे के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में शिकायत की और फोरम ने रेलवे पर जुर्माना लगा दिया। फिर रेलवे ने चोरी और सीनाजोरी के रास्ते पर चलते हुए मामले को सुप्रीम कोर्ट तक खींच लिया। लेकिन यहां भी उसे निराशा हाथ लगी। और सुप्रीम कोर्ट ने यात्रियों के पक्ष में फैसला देकर रेलवे को जमकर लताड़ लगाई।

सेवा में लापरवाह रेलवे

अंग्रेजी खबरों की वेबसाइट न्यूज18.कॉम के मुताबिक, बीते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति रवींद्र भट की बेंच ने केंद्र सरकार की याचिका पर राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के आदेश पर रोक नहीं लगाई। न्यायालय ने रेल मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए कहा कि भारतीय रेलवे (Indian Railway) लंबे समय तक चलने वाली देरी का अनुमान लगा सकता है और यात्रियों को इसकी सूचना दे सकता है।

शीर्ष अदालत ने जिला उपभोक्ता फोरम के 40 हजार रुपये के मुआवजे के आदेश को बरकरार रखने के एनसीडीआरसी के आदेश पर अपनी सहमति देते हुए रेलवे की ओर से सेवा में लापरवाही और कमी मानी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याची (केंद्र सरकार) चार सप्ताह की अवधि के भीतर कोर्ट रजिस्ट्री में 25,000 रुपये की राशि जमा करा दे। यह राशि ऑटो-रीन्यूअल सुविधा के साथ अल्पावधि के लिए किसी सरकारी बैंक एफडी खाते में जमा की जाएगी।

क्या है मामला?

दरअसल, रमेश चंद्र और कंचन चंद्र प्रयागराज एक्सप्रेस से नई दिल्ली आ रहे थे। समय सारणी के मुताबिक, ट्रेन को 12 अप्रैल, 2008 को सुबह 6.50 बजे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंच जाना था। हालांकि, यह ट्रेन लगभग 5 घंटे देरी के साथ 11.30 बजे दिल्ली पहुंची। इस कारण रमेश और कंचन की कोच्ची की फ्लाइट छूट गई। दोनों ने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में रेलवे के खिलाफ मानसिक उत्पीड़न और पीड़ा का केस लेकर गए और 19 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की। आयोग ने रेलवे की गलती मानी और उसे 40,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा रेलवे

इसके खिलाफ रेलवे राजधानी लखनऊ स्थित राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग पहुंच गया, लेकिन उसे राहत नहीं मिली। इसके बाद रेलवे राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग पहुंच गया। राष्ट्रीय आयोग ने भी रेलवे को राहत नहीं दी। एनसीडीआरसी ने 21 अक्टूबर, 2020 को रेलवे के दावे को खारिज कर दिया और कहा कि वो देरी का अनुमान लगा सकते थे और प्रतिवादी सहित यात्रियों को इसके बारे में सूचित कर सकते थे। इसलिए यह रेलवी की तरफ से सेवा में लापरवाही और कमी का मामला बनता है। लेकिन, रेलवे कहां मानने वाला था। उसने राष्ट्रीय आयोग के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजा देने के राष्ट्रीय आयोग के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने यह जरूर कहा कि वो मामले की और छानबीन करेगा।

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