नई दिल्ली : ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर मामले पर वाराणसी की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने कल हुए सुनवाई में ये आदेश दिया कि विवादित परिसर का सर्वेक्षण पुरातात्विक विभाग करेगी। जिसके बाद इस मामले पर निर्णय लिया जायेगा। आपको बता दें कि कोर्ट के इस फैसले के बाद AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी काफी नाराज हो गये है और उन्होने कोर्ट के आदेश को संदिग्ध बता दिया। इसके साथ ही उन्होंने एक बार बाबरी जैसा मामला दोहराने की बात कहीं, जिसमें ना जानें कितने हिंदुओं को राम मंदिर के लिए अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि, इस आदेश की वैधता संदिग्ध है। बाबरी फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कानून में किसी टाइटल की फाइंडिंग ASI द्वारा पुरातात्विक निष्कर्षों पर आधारित नहीं हो सकती है। उन्होंने ASI पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो हिंदुत्व के हर प्रकार के झूठ के लिए मिडवाइफ की तरह काम कर रही है। कोई भी इससे निष्पक्षता की उम्मीद नहीं करता है।
The legality of this order is doubtful. In Babri judgement SC said “A finding of title cannot be based in law on the archaeological findings which have been arrived at by ASI…” ASI has acted as a midwife to all kinds of Hindutva lies, no one expects objectivity from it 1/n https://t.co/oEv7RxsD7r
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) April 8, 2021
ओवैसी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मस्जिद कमेटी को इस आदेश पर तुरंत अपील करना चाहिए और इसपर सुधार करवाना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि ASI सिर्फ धोखाधड़ी का पाप करेगी और इतिहास दोहराया जाएगा जैसा बाबरी मामले में हुआ था। वह बोले कि किसी भी व्यक्ति को मस्जिद की प्रकृति बदलने का कोई अधिकार नहीं है।
गौरतलब है कि बृहस्पतिवार को वाराणसी की सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक दीवानी अदालत ने काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले में विवादित परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया है। जिसका खर्च उत्तर प्रदेश सरकार उठायेगी।
मामले के याची वकील विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि इस सर्वेक्षण में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पांच विख्यात पुरातत्व वेत्ताओं को शामिल करने का आदेश दिया गया है जिनमें दो सदस्य अल्पसंख्यक समुदाय के भी होंगे। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में दीवानी न्यायालय में उन्होंने स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर काशी विश्वनाथ की ओर से वाद मित्र के रूप में आवेदन दिया था। उन्होंने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड कोर्ट के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देगा।