नई दिल्ली : अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की मौत पर निरंजनी अखाड़े ने बड़ा सवाल उठाया है। इसके साथ ही उन्होंने घटनास्थल से मौजूद सुसाइड नोट को भी गलत बताया। निरंजनी अखाड़ा के रविंद्र पुरी ने कहा कि फांसी में सिर के पीछे चोट कैसे हो सकती है? ना जुबान चढ़ी, न आंखें.. तो ये फांसी कैसे हो सकती है।
इसके साथ ही उन्होंने सुसाइड नोट को भी गलत बताया है। रविंद्र पुरी ने कहा कि जो सुसाइड नोट मिला है, वह उनके (महंत नरेंद्र गिरि) द्वारा नहीं लिखा गया है। इस मामले की जांच होनी चाहिए। ऐसा लगता है किसी बीए पास लड़के ने यह पत्र लिखा है। इस संबंध में अखाड़ा अपने स्तर से भी जांच कर रहा है।
पुरी ने बताया कि महंत के निधन पर अखाड़े में भी 7 दिन का शोक जारी है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पद का निर्णय 16 दिन बाद ही होगा। यानी सोष्ठी के बाद होगा। रविंद्र पुरी का कहना है कि महंत के कथित सुसाइड नोट में बलवीर गिरि लिखा है, जबकि वह गिरि नहीं पुरी हैं। महंत नरेंद्र गिरि ऐसी गलती नहीं कर सकते।
आपको बता दें कि महंत नरेंद्र गिरि निरंजनी अखाड़े के मढ़ी मुल्तानी से थे। इस मढ़ी के सभी साधु संतो के नाम के पीछे पुरी ही लगता है। यह बाघंबरी गद्दी मढ़ी मुल्तानी का स्थान नहीं था। जिसकी वजह से महंत नरेंद्र पुरी जी को यहां का महंत बनने के बाद महंत नरेंद्र गिरी के नाम से जाना गया।
मढ़ी मुल्तानी के सभी साधु जिनका नाम सुसाइड नोट में लिखा है, वे सभी पुरी हैं। जबकि सुसाइड नोट में सभी के नाम के पीछे गिरि लिखा गया है। जो शक पैदा करता है। नरेंद्र गिरि दूसरी मंजिल पर रहते थे, तो उस दिन विश्राम के लिए गेस्ट हाउस के कमरे में क्यों गए। वह फांसी अपने कमरे में भी लगा सकते थे।
अब, अखाड़ा परिषद के महासचिव महंत हरी गिरी महाराज हैं, उन्होंने बलवीर गिरि के नाम पर सवाल उठाया है। रविंद्र पुरी ने कहा कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का फैसला, सर्वसम्मति से लिया जाएगा। वहीं बीजेपी नेता साक्षी महाराज ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की मौत का उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की है। जबकि कांग्रेस ने इस मौत को एक साजिश बताया है।