कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को बड़ा झटका दिया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को अगले आदेश तक कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि हम कृषि कानूनों की वैधता को लेकर चिंतित हैं इसका समाधान जरूर निकलना चाहिए।
बता दें कि कोर्ट ने अब इस मसले को सुलझाने के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया है। लेकिन कोर्ट के अंतरिम आदेश के बावजूद दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन जारी है, किसान पिछले 49 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं।
तो वहीं इस मुद्दे पर जमकर सियासत गरमाई हुई है। कोरोना वायरस की वजह से 10 महीने बाद संसदीय क्षेत्र मथुरा पहुंचीं सांसद हेमा मालिनी ने मंगलवार को किसान आंदोलन को लेकर विपक्ष पर जनता को भ्रमित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों में कोई कमी नहीं है।
लेकिन विपक्ष के बहकावे में आकर लोग आंदोलन कर रहे हैं। कृषि कानून से किसानों का भला ही होगा, लेकिन कुछ लोग किसानों को भड़काने का आरोप लगा रहे हैं। सच तो ये है कि आंदोलन करने वाले किसान जानते ही नहीं है कि आखिर वो क्या चाहते हैं और उन्हें क्या करना चाहिए।
तो वहीं सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगाते हुए इस पर चर्चा के लिए एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया था। जिसे किसान नेताओं ने अस्वीकार कर दिया। आंदोलन कर रहे किसान समूहों ने कहा कि वे इस कमेटी के साथ किसी भी चर्चा में हिस्सा नहीं लेंगे। किसान नेताओं का कहना है कि वे इस कमेटी को स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि इसमें शामिल लोग कृषि कानूनों के समर्थक हैं।