रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: शुक्रवार को बजट सत्र के पहले हिस्से के आखिरी दिन राज्यसभा में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। आपको बता दें कि तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिनेश त्रिवेदी ने सदन में ही इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। जिससे राज्यसभा में आश्चर्य की स्थिति बन गई। दिनेश त्रिवेदी ने इस दौरान कहा कि घुटन महसूस हो रही है। देश हित से ऊपर कुछ नहीं है।
उन्होने आगे कहा कि पार्टी हित और देश हित में से एक “देश हित” को चुनने का वक्त आ गया है। दिनेश त्रिवेदी के राज्य सभा से इस्तीफा देने की पेशकश को लेकर आगामीं पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी इसका असर पड़ेगा। कयास लगाया जा रहा है कि त्रिवेदी अब अपनी राजनीतिक उड़ान को भारतीय जनता पार्टी की तरफ से भरेंगे।
इस दौरान उन्होने कहा कि “हर मनुष्य के जीवन में एक घड़ी आती है, जब उसको उसकी अंतरआत्मा की आवाज सुनाई देती है। मेरे जीवन में भी ऐसी ही घड़ी आई थी। देश बड़ा है या पक्ष बड़ा है। आज जब देखते हैं कि जब देश की क्या परिस्थिति है। पूरी दुनिया भारत के तरफ देख रही है”।
बंगाल की राजनीति को देंखे तो जैसे-जैसे विधान सभा चुनाव नजदीक आ रहा है। ममता बनर्जी वैसे-वैसे कमजोर होती दिख रहीं हैं। इससे पहले शुभेंदु अधिकारी और राजीव बनर्जी जैसे मंत्रियों ने बंगाल में ममता बनर्जी का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। अब दिनेश त्रिवेदी के इस्तीफे की घोषणा भी ममता के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
दिनेश त्रिवेदी के राजनीतिक करियर को देंखे तो यूपीए सरकार में रेल मंत्री रह चुके हैं। साल 2020 में अप्रैल महीने में उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता ग्रहण की थी। त्रिवेदी ने 1980 में कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन की थी। इसके बाद उन्होंने 1990 में जनता दल का दामन थाम लिया था। 1998 में जब ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस का गठन की तो त्रिवेदी भी उनके साथ खड़े थे।