दिवाली का पर्व कार्तिक मास के अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की उपासना की जाती है। इस दिन भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या वापिस लौटे थे, जिसकी खुशी में सभी अयोध्या नगरवासियों ने दीपक जलाए थे।
दिवाली के दिन लोग अपने घरों को दीए, रंगोली आदि चीजों से सजाते हैं। वहीं सूर्यास्त के बाद मां लक्ष्मी की पूजा घर के लोगों द्वारा की जाती है और फिर घर के अंदर और बाहर सभी जगहों पर दीपक जलाया जाता है।
दिपोत्सव पांच दिन मनाया जाता है। इस पर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है और भाई दूज के दिन इस पर्व का समापन होता है। धनतेरस के ठीक बाद छोटी दिवाली मनाई जाती है। छोटी दिवाली के अगले दीन दिवाली या दिपावली मनाई जाती है। दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है।
गोवर्धन के अगले दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। लेकिन इस साल दिवाली की तिथियों को लेकर लोगों में असमंजस बना हुआ है जहां कुछ लोग 31 अक्टूबर को बड़ी दिवाली मनाने को कह रहे हैं तो वहीं कुछ लोग 1 नवंबर को दिपावली मनाने को कह रहे हैं। ऐसे में जाने इस साल कब है दिवाली पर्व…
इस साल कार्तिक त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 अक्तूबर, मंगलवार को सुबह 10:32 मिनट पर होगी और इसका समापन 30 अक्तूबर को दोपहर 01:15 मिनट पर होगा। धनतेरस के दिन लोग सोने या चांदी के आभूषणों आदि की खरीदारी करते हैं। इस दिन आभूषण खरीदना शुभ माना जाता है. हालांकि, लोग धनतेरस के दिन वाहन और अन्य सामानों की भी खरीदारी करते हैं। धनतेरस पर खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त भी निर्धारित होता है और मुहूर्त के दौरान खरीदारी करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
छोटी दिवाली 31 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। छोटी दिवाली पूजन विधि-इस दिन प्रातःकाल तिल का तेल लगा कर स्नान करने से भगवान कृष्ण रूप और सौन्दर्य प्रदान करते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण, हनुमान जी, यमराज और मां काली के पूजन का विधान है। नरक चतुर्दशी के दिन ईशान कोण यानि उत्तर पूर्व दिशा में मुख करके पूजन करना चाहिए।
दिवाली 1 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी।दिवाली का त्यौहार तेल के दीये जलाकर, पटाखे फोड़कर, उपहारों का आदान-प्रदान करके और प्रार्थना करके मनाया जाता है। यह त्यौहार आमतौर पर चंद्र कैलेंडर के आधार पर अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है। दिवाली पूरे भारत में अलग-अलग तरीके से मनाई जाती है, जिसमें रीति-रिवाज, अनुष्ठान और भोजन में भिन्नता होती है।
गोवर्धन पूजा का पर्व 2 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। इसमें हिन्दू धर्मावलंबी घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन नाथ जी की अल्पना बनाकर उनका पूजन करते है। उसके बाद गिरिराज भगवान (पर्वत) को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाया जाता है. इस दिन मंदिरों में अन्नकूट किया जाता है।
भाई दूज की तिथि का आरंभ 2 नवंबर शाम 8 बजकर 21 मिनट पर होगा और तिथि का समापन 3 नवंबर रात 10 बजकर 5 मिनट पर होगा।
इस दिन भाई अपनी बहनों के घर जाते हैं और बहनें तिलक लगाकर उनका स्वागत सत्कार करती हैं साथ हीं उनकी लंबी आयु की प्रार्थना भी करती हैं। एक दूसरे को मिठाई खिलाकर नारियल भेंट करती हैं। इसके बाद भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।
This post is written by Vinay Dubey