राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव ने गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि वह सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों को रोकना चाहते हैं। वह वर्ष 2005 से इस मध्य एशियाई देश में विरोध प्रदर्शनों के चलते सत्ता से बाहर होने वाले तीसरे राष्ट्रपति बन गए हैं।
रूस के सहयोगी किर्गिस्तान में गत चार अक्टूबर को संसदीय चुनाव हुए थे। चुनाव में जीनबेकोव के सहयोगी दलों को विजेता घोषित किया गया था। विपक्षी दलों ने चुनाव नतीजों को ठुकरा दिया था।
तब से देशभर में विरोध प्रदर्शनों और हिंसा का दौर जारी है। जीनबेकोव ने एक बयान में कहा, ‘विपक्षी प्रदर्शनकारियों ने मेरे आवास तक मार्च निकालने की धमकी दी है। मुझे चिंता है कि अगर वे ऐसा करते हैं तो हिंसा हो सकती है। मैं अपने ही नागरिकों का रक्त बहता नहीं देख सकता। इसलिए मैं सभी पक्षों से उकसावे में नहीं आने की अपील करता हूं।
पिछले दिनों प्रदर्शनकारियों में जबरदस्त आक्रोश देखा गया और उन्होंने देश की संसद पर धावा बोलते हुए सरकार और सुरक्षा मुख्यालय में तोड़फोड़ की थी।
गुस्साए लोगों ने पूर्व राष्ट्रपति अलमाजबेक अतमबयेव को भी हिरासत से छुड़ा लिया था। सूरनबे जीनबेकोव ने इस हरकत को सियासी ताकतों द्वारा सत्ता पर अवैध कब्जे की कोशिश बताया था। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि चुनाव नतीजों को रद्द किया जाए।
प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि चुनाव में वोट खरीदे गए थे जिसके विरोध में आक्रामक प्रदर्शन किए गए। इस दौरान देशभर में पुलिस के साथ हिंसक झड़प भी हुई। प्रदर्शनकारियों ने बिश्केक के सेंट्रल चौराहे पर राष्ट्रपति और संसद भवन की इमारत में तोड़फोड़ कर डाली थी।