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डॉक्टर मंजू डागर चौधरी { International journalist: ireland}
साहेब – ए – आलम अंतराष्ट्रीय मंच पर आपने भारत का मुस्तक़बिल जरुर बहुत ऊंचा किया है लेकिन जरा बाहर निकालिये गुजरात से भी। बाकि 27 राज्यों ने कोई गुनाह तो नहीं किया जो आप उनके मुख्यमंत्री नहीं रहे। आप भूल रहें हैं कि आप भारत के प्रधान सेवक हैं अब गुजरात के मुख्यमंत्री नहीं। आप में मुझको आधुनिक महात्मा गाँधी जी की छवि पूरी तरह से दिखाई दे रही है।
महात्मा गाँधी भी पूरी तरह से जानते और समझते थे कि कैसे पुरे भारत की जनता को ब्रिटिश राज के खिलाफ जगाना है। ये अलग बात है कि आधी धोती पहन कर भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले महात्मा का ज्यादातर वक़्त और काम बिरला हॉउस से ही होता था। आप जो सांस्कृतिक भारत के उथान के लिए कर रहें हैं मैं उसकी कायल जरुर हूँ लेकिन 21 वि आधुनिक सदी में व्यवसाय की जरुरत हर राज्य को है केवल गुजरात को नहीं।
गाँधी जी ने भी बटवारें के दौरान गुजरात का बॅटवारा नहीं होने दिया और आप भी गुजरात से बाहर व्यवसाय संभावनाएं जाने ही नहीं देते। वरना क्या वजह है कि लक्जमबर्ग की कंपनी बी. मेडिकल सिस्टम अगले हफ्ते एक हाई-लेवल टीम को गुजरात ही भेज रही है।
यह टीम वहां कोरोना वैक्सीन कोल्ड चेन स्थापित करेगी जिसमें सौर ऊर्जा से चलने वाले रेफ्रिजरेटर, फ्रीजर और वे बॉक्स भी शामिल होंगे जिनमें रखकर वैक्सीन को एक जगह से दूसरे जगह भेजा जाएगा।
हम अपने रीडर्स को बता दे कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर व्यक्तिगत रूप से लक्जमबर्ग के प्रस्ताव की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। करार को अंतिम रूप देने के लिए यूरोपीय यूनियन में भारत के राजदूत संतोष झा भी 20 नवंबर को कंपनी के सीईओ और डेप्युटी सीईओ से बातचीत कर चुके हैं।
साहेब मैं इस बात से सहमत हो सकती हूँ कि राजनीतिक मजबूरियों के चलते बीजेपी किसी अन्य राजनीतिक दल की सरकार के राज्य में किसी भी तरह के सेटअप का आरम्भ न करें लेकिन आप —-आप तो भारत के प्रधानमंत्री है बीजेपी के तो नहीं।
विदेश नीति को तो आप ने बहुत शानदार तरीक़े से संभाला है लेकिन चीन पर अभी भी नकेल नहीं लगा पाये। लेकिन मुझको यकीन है आप चीन बिल्ली के गले में भी देर -सवेर घंटी बांध ही देंगे।
लेकिन साहेब ये तो आप फिर गलत कर रहें हैं। पुरे भारत का युवा और आम जन आपके हर फैसले पर टकटकी लगाए बैठा है कि कब हमारे प्रधान सेवक हमको भी रोजगार मुहैया करवाएंगे।
आप तो न जाने कब झोला उठा कर 7 , लोक कल्याण मार्ग से चल देंगे लेकिन इन युवाओं का क्या कसूर। इनके लिए भी अपने दिल में जगह बनाइये। पूरा भारत आपका ही है। ये लाल पत्थरों की दिल्ली की सरकारी इमारतें हमें भी सुहानी लगती हैं साहेब लेकिन क्या करें मंचाधीश आप हैं और हम नेपाध्य में।
Copyright & Dr. Manju Dagar Chaudhary ( International Journalist) Ireland